कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष और पार्टी की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी ने राज्यसभा में आज जाति जनगणना कराए जाने की मांग की। उन्होंने इसे जल्द से जल्द कराए जाने की मांग में कहा कि सभी पात्र व्यक्तियों को खाद्य सुरक्षा कानून के तहत गारंटीकृत लाभ मिल सके।
सोनिया गांधी ने राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान इस मुद्दे को उठाया। अपने मांग में हुए उन्होंने यह भी कहा कि खाद्य सुरक्षा विशेषाधिकार नहीं बल्कि नागरिकों का एक मौलिक अधिकार है।
यूपीए सरकार द्वारा प्रस्तुत राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम एक ऐतिहासिक पहल बताते हुए सोनिया गाँधी का कहना था कि इसका उद्देश्य 140 करोड़ आबादी के लिए खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करना था।
राज्यसभा में सोनिया गाँधी ने करीब 14 करोड़ पात्र भारतीयों को खाद्य सुरक्षा कानून के तहत उनके उचित लाभों से वंचित किये जाने की बात कही। उन्होंने सरकार द्वारा इसे प्राथमिकता देने और यह सुनिश्चित करने को कहा कि सभी पात्र व्यक्तियों को खाद्य सुरक्षा कानून के तहत गारंटीकृत लाभ मिल सके।
सोनिया गांधी ने कहा कि बजट आवंटन से पता चला है कि जनगणना इस वर्ष भी आयोजित किए जाने की संभावना नहीं है। आगे उन्होंने कहा- ‘‘स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार जनगणना में 4 साल से अधिक की देरी हुई है। मूल रूप से यह 2021 के लिए निर्धारित थी लेकिन अब भी इस बात पर कोई स्पष्टता नहीं है कि जनगणना कब आयोजित की जाएगी।’’
कोविड 19 महामारी के संकट का हवाला देते हुए उन्होंने यह भी कहा कि इस कानून ने लाखों कमजोर परिवारों को भुखमरी से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसकी प्रमुखता को उन्होंने इसी अधिनियम के तहत प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को आधार प्रदान किया जाना भी बताया।
अपने बयान में सोनिया गांधी का कहना था कि खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत 75 प्रतिशत ग्रामीणों के साथ ही 50 प्रतिशत शहरी आबादी सब्सिडी वाले खाद्यान्न प्राप्त करने की हकदार है। आगे उन्होंने कहा कि लाभार्थियों के लिए कोटा अब भी दशक से अधिक पुरानी हो चुकी 2011 की जनगणना के आधार पर ही निर्धारित किया जाता है।