वाराणसी। उत्तर प्रदेश में बाढ़ से उफनाई नदियों का कहर जारी है। गंगा, यमुना, राप्ती और केन नदियों ने प्रदेश के कई जिलों में कोहराम मचा रखा है। अब तक प्रदेश के सैकड़ों गांव बाढ़ के पानी से जलमग्न हो गए हैं। दर्जनों घर उफनाती नदियों में समा चुके हैं। इलाहाबाद में गंगा और यमुना नदी खतरे के निशान से महज कुछ दूरी पर है, जबकि वाराणसी में गंगा खतरे के निशान से सिर्फ 32 सेमी नीचे बह रही है। बांदा में केन नदी खतरे के निशान पर है और यहां पर अब तक लगभग एक दर्जन लोगों की मौत हो चुकी है। हमीरपुर में भी ये हालात छिपे नहीं हैं। यहां हाइवे पर लगभग तीन फीट पानी भरा हुआ है।
वाराणसी में गंगा के बढ़े जलस्तर का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां अस्सी घाट की गलियों में नावें चल रही हैं। काशी में गंगा खतरे के निशान से 32 सेमी ऊपर बह रही है। गंगा का जलस्तर बढ़ने से आसपास के निचले इलाकों के लोगों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।सोनभद्र में लगातार हो रही बारिश से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो चुका है। कई दिनों से हो रही लगातार बारिश से पांच साल बाद शुक्रवार को रिहंद बांध का जलस्तर 871 फीट (खतरे के निशान) पर पहुंच जाने के बाद बांध के 13 गेट में से एक गेट को ऐतिहातन खोल दिया गया। गेट खोले जाने के बाद सोनभद्र में बहने वाली नदियों के जलस्तर में बढ़ोतरी से बाढ़ का खतरा बढ़ गया है।
इलाहाबाद में तेजी से बढ़ रही गंगा और यमुना ने रौद्र रूप धारण कर लिया है, जिससे हजारों घर पूरी तरह से पानी में डूब गए है। साथ ही प्राचीन लेटे जी का हनुमान मंदिर भी पूरी तरह से जलमग्न हो गया है। गंगा की तेज लहरो की चपेट से मंदिर की दीवार भी गिर गई है। संगम नगरी में दोनों नदियों का जलस्तर तेज गति से बढ़ रहा है। गंगा जहां खतरे के निशान को पार करने के करीब पहुंच गई है, वहीं यमुना भी लाल निशान पार करने वाली है।
बांदा जिले में भी बारिश ने बाढ़ के हालात पैदा कर दिए हैं। बांदा मुख्यालय में अब तक रिकॉर्ड 120 मिली मीटर बारिश दर्ज की जा चुकी है। मध्य प्रदेश की घाटियों में हो रही मूसलाधार बारिश से केन नदी ने विकराल रूप धारण कर लिया है। केन नदी खतरे के निशान से 3 मीटर ऊपर बह रही है। जिले में बारिश के कोहराम से अब तक लगभग एक दर्जन लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि ग्रामीण इलाको में नदी का पानी घुसने से बाढ़ जैसे हालात बने हुए हैं।