एक नए अध्ययन में दावा किया गया है कि मछली के तेल की खुराक में पाया जाने वाला ओमेगा -3 और ओमेगा -6 फैटी एसिड कैंसर से बचाने में मदद कर सकते हैं।
जॉर्जिया विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने पाया है कि ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड कई प्रकार के कैंसर से सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं, जिनमें कोलन, पेट और फेफड़ों के कैंसर शामिल हैं।
शरीर इनमें से किसी भी फैटी एसिड का उत्पादन नहीं कर सकता है, जिसका अर्थ है कि उन्हें ओमेगा-3 या ओमेगा-6 के लिए खाद्य स्रोतों या मछली के तेल से प्राप्त किया जाना चाहिए।
शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन लोगों में ओमेगा-3 की मौजूदगी अधिक थी, उनमे अध्ययन से जुड़े अन्य प्रतिभागियों की तुलना में कोलन, पेट, फेफड़े और अन्य डाइजेस्टिव सिस्टम के कैंसर की दर कम पाई गई।
जॉर्जिया विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं का कहना है कि ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड कई प्रकार के कैंसर से भी सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं। ये फैटी एसिड शरीर द्वारा नहीं बनाए जाते हैं और इन्हें खाद्य स्रोतों से प्राप्त किया जाना चाहिए।
इसी तरह से ओमेगा-6 के उच्च स्तर की दर 14 विभिन्न प्रकार के कैंसर की कम दर से सम्बंधित पाई गई जिसमे मस्तिष्क, मेलेनोमा, मूत्राशय और सहित अन्य अंग शामिल थे।
शोध के इन निष्कर्षों पर जॉर्जिया विश्वविद्यालय के कॉलेज ऑफ पब्लिक हेल्थ में डॉक्टरेट छात्र और प्रमुख शोधकर्ता युचेन झांग का कहना है कि औसत व्यक्ति को अपने आहार में इन फैटी एसिड को अधिक मात्रा में लेने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
मुख्य रूप से तैलीय मछली या पौधे-आधारित स्रोतों में पाए जाने वाले ये दोनों आवश्यक फैटी एसिड मस्तिष्क को ठीक से काम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, साथ ही शरीर की वृद्धि और विकास में भी मदद करते हैं।
यह अध्ययन यूके बायोबैंक रिसर्च प्रोजेक्ट के तहत किया गया। शोध के लिए दो लाख 53 हज़ार से अधिक प्रतिभागियों के डेटा को शामिल किया गया है। इस परियोजना के तहत प्रतिभागियों ने आहार संबंधी प्रश्नावली से जुड़े सवालों के जवाब भरे। इसके अलावा कई दशकों तक उनके स्वास्थ्य की निगरानी भी की गई।
पिछले शोधों ने ओमेगा-3 को मनोभ्रंश और हृदय रोग जैसी स्थितियों के कम जोखिम के साथ-साथ बेहतर नेत्र स्वास्थ्य से जोड़ा है। अन्य अध्ययनों से पता चलता है कि ओमेगा-6 व्यक्ति के टाइप 2 मधुमेह के जोखिम को कम करने और शरीर में सूजन को कम करने में मदद कर सकता है।