विश्व बैंक का कहना है कि अगर गाजा पर इजरायली हमले जारी रहे तो यूक्रेन युद्ध और अब गाजा युद्ध के कारण ऊर्जा और खाद्य पदार्थों की कीमतें काफी बढ़ सकती हैं।
वर्तमान हालात का जायज़ा लेने के बाद इन परिस्थितियों में ऊर्जा और खाद्य पदार्थों की कीमतों के इज़ाफ़े को विश्व बैंक ने कमोडिटी बाजार के लिए दोहरा झटका बताया है।
अगर गाजा पर इजरायली हमले जारी रहे तो विश्व बाजार में कच्चे तेल की कीमत 150 डॉलर प्रति बैरल से भी ज्यादा हो सकती है।
विश्व बैंक ने चेतावनी दी है कि यदि प्रमुख तेल उत्पादक देश आपूर्ति में कटौती करते हैं तो 1970 के दशक का परिदृश्य सामने आ सकता है।
Oil prices could surge to a record high of more than $150 a barrel if the Israel-Gaza war escalates into a regional conflict, the World Bank has warned https://t.co/OuRAu7Np8L
— The Times and The Sunday Times (@thetimes) October 30, 2023
अनुमान के मुताबिक़ यदि मध्य पूर्व में संघर्ष बढ़ता है, तो कमोडिटी और तेल की कीमतें अचानक बढ़ सकती हैं। कम और मध्यम तीव्रता की क्षेत्रीय अशांति की स्थिति में तेल की वैश्विक कीमत 102 से 121 डॉलर प्रति बैरल तक जा सकती है।
गौरतलब है कि तेल की बढ़ी कीमतें आम तौर पर मुद्रास्फीति में वृद्धि का कारण बनती हैं और भारत जैसे देश में बड़े पैमाने पर आयातक की वृद्धि को हानिकारक होती हैं।
गाजा में अपने सैन्य अभियानों का विस्तार करने के इजरायल के फैसले से क्षेत्रीय संघर्ष बढ़ने की आशंका बढ़ी है। मीडिया रिपोर्टों में स्पष्ट संकेत दिए गए हैं कि युद्ध का विस्तार वैश्विक अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।
वर्तमान परिस्थितियों के आंकलन के बाद विश्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि गाजा में लड़ाई बढ़ने से तेल बाजार सहित वैश्विक कमोडिटी बाजार “अज्ञात संकट” की तरफ जा सकते हैं।
पिछले हफ्ते, भारत ने तेल उत्पादकों से उपभोग करने वाले देशों के प्रति संवेदनशीलता दिखाने का आग्रह किया था, क्योंकि सऊदी अरब और रूस द्वारा साल के अंत तक स्वैच्छिक कटौती का विस्तार करने के फैसले के बाद कीमतें 90 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर कारोबार कर रही थीं।
विश्व बैंक के मौजूदा आकलन के अनुसार, अगले साल कमोडिटी की कीमतों में 4.1 प्रतिशत की गिरावट और तेल की कीमतों में औसतन 81 डॉलर प्रति बैरल की गिरावट आने की उम्मीद है।