लखनऊ : उत्तर प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग ने भारत के निर्वाचन आयोग से प्रदेश के शहरी निकायों के चुनाव कराने के लिए नयी ईवीएम मुहैया कराने अन्यथा पारंपरिक ‘बैलट पेपर’ के जरिए चुनाव कराने की अनुमति देने का अनुरोध किया है। Evm issue
राज्य निर्वाचन आयुक्त एस के अग्रवाल ने आज पीटीआई-भाषा से कहा, “हाल ही में मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी से मेरी बात हुई है और मैंने उनसे नयी ईवीएम मुहैया कराने का अनुरोध किया है, अन्यथा हमें शहरी स्थानीय निकायों के चुनाव बैलट पेपर के जरिए कराने की अनुमति दी जाए।”
अग्रवाल ने कहा कि शहरी स्थानीय निकायों की चुनाव प्रक्रिया जुलाई के दूसरे सप्ताह तक संपन्न करनी है। वर्तमान समय में राज्य निर्वाचन आयोग सीमांकन को लेकर युद्धस्तर पर कार्य कर रहा है।
गुरुवार (13 मार्च) को ही सुप्रीम कोर्ट ने बसपा सुप्रीमो मायावती की याचिका पर केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया था।
बसपा ने अपनी याचिका में कहा है कि चुनावों में सर्वोच्च न्यायालय के 2013 के दिशानिर्देश के अनुरूप मतदान के लिए ईवीएम के साथ वीवीपीएटी का इस्तेमाल होना चाहिए। शीर्ष अदालत ने हालांकि वीवीपीएटी के बिना ईवीएम से हुए चुनावों को रद्द करने की याचिका खारिज कर दी।
इस मामले में वरिष्ठ वकील पी.चिदंबरम बसपा की ओर से शीर्ष अदालत में पेश हुए। न्यायालय से कहा गया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सहित सभी राजनीतिक पार्टियों ने कुछ बिंदुओं पर ईवीएम का विरोध किया है।
उन्होंने पीठ से कहा कि निर्वाचन आयोग के कई बार बताए जाने के बावजूद सरकार ने ईवीएम के साथ वीवीपीएटी लगाने के लिए धनराशि आवंटित नहीं की। उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग ने वीवीपीएटी के लिए धनराशि जारी करने को लेकर केंद्र से 10 बार कहा।
न्यायालय को बताया गया कि पिछले साल केवल 10,000 ईवीएम ही वीवीपीएटी से जोड़े गए। अगर यही रफ्तार रही, तो तमाम ईवीएम को वीवीपीएटी के साथ जोड़ने में 150 वर्षो का समय लगेगा।
उन्होंने शीर्ष अदालत से यह भी कहा कि निर्वाचन आयोग ने इस मुद्दे पर सामान्य नियमों से परे हटकर सीधे प्रधानमंत्री को पत्र लिखा।
उन्होंने बताया कि ईवीएम के साथ वीवीपीएटी जोड़े जाने के लिए निर्वाचन आयोग को 3,000 करोड़ रुपये की जरूरत है, पर केंद्र सरकार यह धनराशि आवंटित नहीं कर रही है, इसके बजाय केंद्र ने मात्र 16 लाख रुपये की आवंटित की।