लखनऊ, 20 फरवरी : एरा लखनऊ मेडिकल कॉलेज में भर्ती कोरोना संक्रमण के अंतिम मरीज को शनिवार को डिस्चार्ज किया गया। 37 दिन अस्पताल में गुजारने के बाद 65 वर्ष की अंजुम फातिमा की कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद छुट्टी दी गयी है।
इन 37 दिनों में जिंदगी और मौत से जूझने के बीच अंत मे उन्होंने ने मौत को मात दे दी। एरा प्रसाशन ने एक भव्य समारोह आयोजित कर अंजुम फातिमा को सम्मानित कर उन्हें अस्पताल से विदाई दी।
कोरोना से संक्रमित होने के बाद अंजुम फातिमा को गत 14 जनवरी को एरा में भर्ती कराया गया था, वो काफी गंभीर अवस्था मे थी, कोरोना के साथ साथ वो बीपी, शुगर और हृदय रोग से भी ग्रसित थी। उभे 10 दिन तक हाई रिस्क पर आईसीयू में रखा गया।
डॉक्टरों की कड़ी मेहनत के बाद उनकी सेहत में सुधार होने लगा। 10 दिन बाद उन्हें एचडीयू में शिफ्ट किया गया लेकिन उनकी रिपोर्ट लगातार पॉजिटिव आती रही। इस दौरान उनकी 10 से अधिक बार कोरोना जांच की गई। अंत मे शुक्रवार को रिपोर्ट निगेटिव आ गयी और 37 दिन बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी।
मेडिसिन विभाग की हेड डॉ जलीस फातिमा ने कहा कि
कोरोना काल हमारे लिए बड़ा इम्तेहान था और हम पास हो गए।
इसमें एरा के हर एक कर्मी का सहयोग रहा। टीम वर्क के
बिना ये संभव नही था।
अंजुम फातिमा अब पूरी तरह स्वस्थ है। कार्यक्रम में मौजूद अंजुम फातिमा के पुत्र फ़ैज़ हैदर ने कहा कि उनकी मां को दूसरी जिंदगी मिली है, इसका श्रेय पूरी तरह एरा के डॉक्टरों की टीम को जाता है। जिस तरह देश की सीमा पर फौज के जवान हमारी सुरक्षा करते है उसी तरह यहाँ के डॉक्टरो में हमारी माँ की जिंदगी की रक्षा की है।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए एरा लखनऊ मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ एमएमए फरीदी ने कोरोना काल मे एरा के स्वास्थ्य कर्मियों के कार्यो की सराहना करते हुए कहा कि, कोरोना एक नई बीमारी थी, शुरू के दिनों में हमारे पर न तो अनुभव था, न संसाधन और न ही मैन पावर , कोरोना मरीजो का उपचार हमारे सामने बड़ी चुनौती थी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ खुद इसकी मॉनिटरिंग कर रहे थे, प्रसाशन स्तर पर लगातार के बीच सरकार ने हमपर विश्वास करते हुए एरा को सबसे बड़ा कोविड अस्पताल बना दिया।
एरा की टीम में सेवा भाव से अपनी पूरी ताकत झोंक दी। जिसका नतीजा रहा कि हमारा रिकवरी दर सबसे अघिक रहा। हमारी इस उपलब्धि पर कई संस्थान भी शोध कर रहे है। उन्होंने कहा कि हम सरकार की उम्मीद पर खरे उतरे।
अपने अनुभव बताते हुए उन्होंने कहा – 8 घंटे पीपीई किट पहनकर ड्यूटी करना आसान नही था, लेकिन समय के साथ साथ हम कोरोना पर हावी होते रहे। आज देश और विदेश के कई संस्थान जानना चाहते है कि हमने ऐसा क्या किया जिससे हमें इतनी बड़ी सफलता कोरोना मरीजो के उपचार में मिली।
मेडिसिन विभाग की हेड डॉ जलीस फातिमा ने कहा कि कोरोना काल हमारे लिए बड़ा इम्तेहान था और हम पास हो गए। इसमें एरा के हर एक कर्मी का सहयोग रहा, टीम वर्क के बिना ये संभव नही था। हम आगे के लिए भी तैयार है अब हम और अच्छा कर सकते है क्योकि अब हमारे पास अनुभव भी है और बेहतर तकनीक भी।
एरा लखनऊ मेडिकल कॉलेज को मार्च 2020 में सबसे बड़ा 400 बेड का कोविड अस्पताल प्रदेश सरकार द्वारा बनाया गया था। बेड की संख्या बाद में 400 से बढ़ा कर 420 कर दी गयी थी।
कोरोना संक्रमण के मामलों में लगातार गिरावट के कारण 2 फरवरी को प्रदेश शासन द्वारा एरा को नॉन कोविड अस्पताल घोषित कर दिया गया, लेकिन एरा में 12 मरीज भर्ती थे, इनमे से 11 मरीज का सकुशल उपचार के बाद छुट्टी दे दी गयी, अंतिम मरीज अंजुम फातिमा को भी 37 दिन बाद शनिवार को डिस्चार्ज कर दिया गया।
कोरोना काल के दौरान एरा ने 3200 से अधिक मरीजो का उपचार किया, एरा का रिकवरी रेट सबसे बेहतर दर्ज किया गया। कोरोना मरीजो के उपचार में उत्कृष्ट कार्य के लिए एर को स्कॉच गोल्ड के अलावा कई राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय सम्मान से सम्मानित किया गया है। इस मौके पर सभी विभाग के प्रमुख , प्रसाशनिक अधिकारी और अन्य कर्मी मौजूद थे।