बात बात पर मुसलमानों से कहा जा रहा है कि पाकिस्तान चले जाएँ . मेरठ के पुलिस अधिकारी ने कहा कि वो पाकिस्तान चले जाएँ. भले ही अपने दूषित मानसिकता को छुपाने कि कोशिश किया कि वो लोग पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगा रहे थे .
लेकिन इसका कोई प्रमाण नहीं दिख रहा है. बहस इतनी ज्यादा बढती जा रही है कि कहीं उनको लेने का देने न पड़ जाय. जो आज मुसलमानों को विदेशी बताते फिर रहे हैं. फिर यह प्रश्न पैदा होता है कि जो पहले आया वो पहले जाएगा.
डॉ अम्बेडकर का मानना है कि कि हिन्दू धर्म , धर्म न होकर के एक राजनैतिक योजना है जो सवर्णों द्वारा बहुजनो पर शासन के दांव पेंच से शासन करता है.
1940 में उन्होंने कहा था कि “अगर हिन्दू राष्ट्र बन जाता है तो बेशक इस देश के लिए एक भारी खतरा उत्पन्न हो जायेगा.https://t.co/pdSolMst5K— Dr. Udit Raj (@Dr_Uditraj) January 16, 2020
यह सर्वविदित है कि कि भारत भूमि पर अफ़्रीकी, यूरोपिय और मंगोलायिड लोग समय समय पर आते रहे हैं और बस गये . हाल में एक वायरल वीडियो में दिखा कि जिसमे एक सज्जन कहते हुए नज़र आ रहे है कि हम ब्राह्मण जर्मनी से आये हैं.
वो सज्जन पढ़े लिखे नज़र आये और यह भी कह रहे हैं कि मोहन भागवत चित्पावन ब्राह्मण हैं. चित्पावन ब्राह्मण मूल रूप से इजराईल से आये थे अर्थात इनकी नसल यहूदी है.
#ShaheenBaghTruth #ShahinBaghProtest #ShaheenBaghCracks
Yes ! I got paid ! I admit.
I got paid with love.
There were elderly aunties there who kept blessing me and kept asking me if I was hungry.What these Protest pictures don't show is the overflow of love at #ShaheenBagh pic.twitter.com/vuPexDURlQ
— Puja Ibadat Kaur Williams (@DConquered) January 17, 2020
राखीगढ़ी में हाल में उत्खनन हुआ और यह बड़े स्तर पर कि योजना थी . मिले हुए अवशेषों का पूरा वैज्ञानिक विश्लेषण हुआ तो पता चला कि वो सिंधु घाटी की सभ्यता से जुडा है.
सत्ता का दवाब पुरातत्वविद पर पूरा था और उनसे कहलवाने कि कोशिश कि गयी कि इनका डी एन ए सवर्णों से मिलता है. इसके पीछे का मकसद यह है कि किसी तरह से हड़प्पा सभ्यता को सनातनी हिन्दू से जोड़ दिया जाय. लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा है.
दुनिया के 92 बानवे वैज्ञानिक जो हार्वर्ड , एम आई टी , रसियन अकेडमी ऑफ़ साइंसेस और भारत की तमाम संस्थाएं से जुड़े , 612 लोगों का अध्ययन किया , लोगों का अध्ययन इस्टर्न इरान , उज्बेकिस्तान , तजाकिस्तान , कजाकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान आदि से लिए गए और अध्ययन में पाया कि आर्य उत्तरी भारत में आये.
हिटलर के नाजियों कि सोच भी यही थी कि आर्य भारत में बाहर से आये . हड़प्पा के लोगों में स्टेपे डी एन ए नहीं है, हलाकि , हाल में राखीगढ़ी के उत्खनन और डी एन ए विश्लेषण में कोशिश कि गयी कि आर्यों को मूलनिवासी घोषित किया जाय .
ऐसा कुछ कहलवाया भी गया , लेकिन दुनिया के नामचीन वैज्ञानिक जैसे डेविड रायिक आदि कि चुनौती के सामने ऐसा साक्ष्य प्रस्तुत नही कर पाए. ऋग्वेद में जो परंपरा एवं प्रकार बलि और कर्मकांड का दीखता है, उसका मेल पूर्वी यूरोप से , जिसमे रशिया को भी शामिल किया जाता है, मेल खता है.
डेविड रायिक कहते हैं – “राजनीटिक कारणों से डी एन ए के अध्ययन के लिए सामग्री आराम से उपलब्ध नहीं हो पति है. यहाँ के लोग मरे हुए पूर्वजों के प्रति बहुत भावुक हैं, जबकि यूरोप और यहाँ तक कि पाकिस्तान के लोग भी इस तरह का व्यवाहर नहीं करते . इसके पीछे संघ एक कारण के रूप में दीखता है. . विनायक सावरकर और गोलवलकर भी यही कहते थे कि हम यहाँ के ही हैं, बाहर से नहीं आये हैं. डी एन ए के अलावा भाषाई एवं अन्य सांस्कृतिक प्रमाणों से यह सिद्ध होता है कि आर्य बाहर से आये .
सरकार परस्त मिडिया को यह बर्दाश्त नहीं हो रहा है CAA/NRC की लडाई अब जनांदोलन का रूप ले रही है.
शाहीनबाग़ से शुरू होकर इलाहबाद,नवादा और गया तक फ़ैल गया.
सरकारी भोम्पुओं की यह अफवाह भी जनता ने नकार दिया की यह सिर्फ मुसलमान के खिलाफ है , क्यूंकि अब आमजन इस लडाई से जुड़ रहा है।
डॉ अम्बेडकर का मानना है कि कि हिन्दू धर्म , धर्म न होकर के एक राजनैतिक योजना है जो सवर्णों द्वारा बहुजनो पर शासन के दांव पेंच से शासन करता है.
1940 में उन्होंने कहा था कि “अगर हिन्दू राष्ट्र बन जाता है तो बेशक इस देश के लिए एक भारी खतरा उत्पन्न हो जायेगा.
नागरिकता संशोधन कानून कि वैधता के लिए संघ और भाजपा गला फाड़ फाड़ कर कह रहे हैं कि हिन्दुओं का दुनिया में एकमात्र देश है क्या वह भी हिन्दू राष्ट्र न हो. क्या
राहुल सांकृत्यायन ने अपने प्रसिद्द उपन्यास गंगा से वोल्गा में भी विस्तार से चित्रित किया है किस तरह से आर्य विशेष रूप से गंगा के पठारी एरिया में आये. नेहरु ने अपनी प्रसिद्द किताब डिस्कवरी ऑफ़ इण्डिया में भी इस बात कि पुष्टि कि है कि आर्यन बाहर से आकर भारत में बसे.