नई दिल्ली। रिपोर्ट्स के मुताबिक आरबीआई रोज लगभग 1 करोड़ 90 लाख नोट छाप रहा है। इसके बाद भी कैश की कमी की असली वजह क्या है ? नोटबंदी की घोषणा प्रधानमंत्री ने 8 नवंबर 2016 को की थी। फैसले को 40 दिन से ज्यादा हो गए हैं लेकिन अभी भी कैश की भारी किल्लत से लोगों को जूझना पड़ रहा है। Demonetization
आरबीआई की करेंसी प्रेस रोज बड़ी तादाद में नए करेंसी नोट्स छाप रही है लेकिन फिर कैश की कमी बनी हुई है। वहीं टाइम्स ऑफ इंडिया ने अपनी एक खबर में कैश की किल्लत होने का आकलन किया है। इसके मुताबिक आरबीआई ने 10 नवंबर से 19 दिसंबर 2016 के बीच लगभग 220 करोड़ नए नोट जारी किए। इनमें से लगभग 90 प्रतिशत नोट 2000 रुपये के थे और बाकी के नए 500 रुपये के नोट थे (बैंकों के सर्वे द्वारा दिए गए आंकड़ें), इस हिसाब से देखें तो 19 दिसंबर तक लगभग 4.07 लाख करोड़ रुपये की रकम आरबीआई ने जारी की है।
वहीं आरबीआई ने एक आरटीआई के जवाब में कहा था कि उसने 4.94 लाख करोड़ रुपये की रकम के 2000 रुपये के नए नोट 8 नवंबर 2016 से पहले ही जारी कर दिए थे। इस हिसाब से देखें तो आरबीआई द्वारा 19 दिसंबर तक एक लाख करोड़ रुपये ज्यादा रिलीज किए गए। 8 नवंबर के बाद से भी नए नोटों की छपाई का काम पूरी क्षमता के साथ जारी है। देशभर में मौजूद 4 प्रिटिंग प्रेस की मदद से लगभग 2 लाख करोड़ रुपये की कीमत के 2000 और 500 के नए नोट छापे गए और यह काम नवंबर के दूसरे हफ्त से जारी की गई थी।
2 लाख करोड़ रुपये को 4.94 लाख करोड़ रुपये में जोड़ दिया जाए तो यह लगभग 7 लाख करोड़ रुपये बनेंगे। इस हिसाब से देखें तो कैश कुछ हद तक पर्याप्त मात्रा में मौजूद था। ऐसे में कैश की कमी होने की अभी तक की क्या वजह रही है ? खबर के मुताबिक नए नोटों के हिसाब से एटीएम मशीनों की सेटिंग्स करने में समय लग रहा है जिससे कैश की कमी बनी हुई है। इसके अलावा खबर के मुताबिक शुरुआत में 500 के नए नोटों की प्रिटिंग में कुछ परेशानी आई थी जिसकी वजह से भी कैश की कमी बनी रही।