दिल्ली हाई कोर्ट ने आज दिए एक फैसले में कहा कि आत्महत्या की जिम्मेदारी केवल नाजुक मानसिकता वाले व्यक्तियों की है।
कमज़ोर मानसिकता को आत्महत्या का कारण बताते हुए जस्टिस अमित महाजन का कहना था कि दुर्बल मानसिकता वाले व्यक्ति द्वारा लिए गए गलत निर्णय के लिए किसी अन्य व्यक्ति को आत्महत्या के लिए उकसाने का दोषी नहीं ठहराया जा सकता है।
अदालत ईद बारे में स्पष्टीकरण देते हुए कहना था कि प्रेम में विफलता या फिर खराब शैक्षणिक प्रदर्शन के मामलों में व्यक्तियों को उकसाने के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है।
एक व्यक्ति द्वारा प्रेम में असफलता के चलते आत्महत्या करने पर कोर्ट ने महिला को उकसाने वाले आरोप से बरी करने के साथ ये फैसला सुनाया। इस फैसले पर दिल्ली हाई कोर्ट का कहना है कि अगर प्रेमी प्रेम में नाकामयाबी के कारण आत्महत्या करता है, तो इस मामले में महिला को आत्महत्या के लिए उकसाने का दोषी नहीं ठहराया जा सकता है।
इश्क में नाकाम आशिक जान दे तो महिला को नहीं मान सकते दोषी: हाईकोर्टhttps://t.co/Tum5s34Kdz
— Hindustan (@Live_Hindustan) April 17, 2024
प्रेमी द्वारा आत्महत्या किये जाने के बाद उसके पिता की शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज की गई थी। मृतक के सुसाइड नोट में लिखा पाया गया था कि वह दो आवेदकों की वजह से आत्महत्या कर रहा है।
गौरतलब है कि इन आवेदकों में एक महिला का मृतक के साथ रिलेशन था जबकि एक अन्य मित्र था। आवेदकों को अग्रिम जमानत देते हुए अदालत ने कहा कि रिकॉर्ड पर रखे गए व्हाट्सएप चैट से पहली नज़र में ऐसा प्रतीत होता है कि मृतक संवेदनशील स्वभाव का था और जब भी महिला उससे बात करने से इनकार करती थी तो वह लगातार आत्महत्या करने की धमकी देता था।
अदालत ने अपने विवरण में यह जानकारी भी दी कि सुसाइड नोट में मृतक की पीड़ा ज़रूर व्यक्त हुई है मगर उसके उकसाने का कोई संकेत नहीं था।
आवेदकों द्वारा धमकियों की प्रकृति और किसी भी उकसावे को निर्धारित करने के लिए मामले की सुनवाई अभी जारी है।