दिल्ली सरकार इस समय जल संरक्षण को लेकर काफी सतर्क है। सरकार यमुना नदी की बाढ़ के पानी का भंडारण करते हुए भूजल स्तर बढ़ाने की योजना पर काम शुरू कर रही है। साथ ही पल्ला फ्लड प्लेन परियोजना की बदौलत भूजल स्तर में लगातार सुधार है।
इसी क्रम में अब दिल्ली सरकार दिल्ली सरकार बाढ़ के पानी का सदुपयोग कर पीने के पानी की किल्लत दूर करने की योजना पर भी काम कर रही है। देश के सूखाग्रस्त राज्यों के लिए पल्ला फ्लड प्लेन परियोजना एक बेहतरीन मिसाल है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक़ हर वर्ष यमुना नदी में मानसून के दौरान बाढ़ आती है। पल्ला में यमुना फ्लड प्लेन परियोजना का मक़सद बाढ़ के पानी को जमीन के भीतर ले जाना है। इससे भूजल का स्तर बेहतर होगा। इसके अंतर्गत दिल्ली के घरों में 24 घंटे साफ पानी की आपूर्ति भी सुनिश्चित करने की परियोजना है।
इकोलॉजिकल सिस्टम में सहयोग देने वाली पल्ला फ्लड प्लेन परियोजना सिर्फ दिल्ली ही नहीं बल्कि पूरे देश के सूखाग्रस्त और पानी की किल्लत झेल रहे राज्यों के लिए एक बेहतरीन मिसाल साबित होगी।
बाढ़ की परिस्थिति में दिल्ली को भरी दिक्कतों के साथ बड़े पैमाने पर नुकसान झेलना पड़ता है। इस्सके मद्देनज़र दिल्ली सरकार ने तीन साल पहले मानसून के पानी को इकट्ठा करने के लिए पल्ला प्रोजेक्ट शुरू किया था। इसके तहत यहाँ 26 एकड़ का तालाब बनाया गया जिसमे बाढ़ का पानी संचय किया जाता है। इस पानी का उपयोग उपयोग राजधानी में भूजल को बढ़ाने के लिए किया जा रहा है। भूजल स्तर में बढ़ोतरी की जानकारी के लिए 33 पीजोमीटर भी लगाए गए हैं।
पल्ला फ्लड प्लेन परियोजना के बेहतर परिणाम सामने आए वर्ष 2020 और 2021 में 2.9 मिलियन क्यूबिक मीटर और 4.6 मिलियन क्यूबिक मीटर अंडरग्राउंड वाटर रिचार्ज हुआ। साथ ही यह भी देखने को मिला कि पल्ला परियोजना क्षेत्र में पिछले वर्ष का भूजल स्तर अनुमान से निकाले गए 3.6 मिलियन क्यूबिक मीटर भूजल से ज़्यादा था। ये परियोजना ना केवल पानी की मांग और आपूर्ति के बीच के अंतर को कम करने में सफल रही है, बल्कि गड्ढों में पानी की बढ़ोतरी भी देखने को मिली। परियोजना क्षेत्र में पीजोमीटर में भूजल-स्तर में 0.5 मीटर से 2.5 मीटर की औसत वृद्धि देखी गई।