कोरोना वायरस के संक्रमण से दुनियाभर की इकोनॉमी उथल-पुथल के दौर से गुजर रही है. इस संकट का असर प्रवासी भारतीय लोगों की कमाई पर भी पड़ने की आशंका है.
प्रवासी भारतीयों की कमाई पर कोरोना का असर पड़ सकता है प्रवासी भारतीयों की कमाई पर कोरोना का असर पड़ सकता है
प्रवासी भारतीय 64 बिलियन डॉलर रेमिटेंस भेज सकते हैं2019 में देश में 83 बिलियन डॉलर की रकम भेजी गई थी
वैसे तो अपने देश में धन भेजने के मामले में प्रवासी भारतीय सबसे आगे होते हैं. यही वजह है कि लंबे समय से प्रवासियों द्वारा भेजे जाने वाले धन (रेमिटेंस) के मामले में भारत शीर्ष पर रहा है. लेकिन इस साल कोरोना वायरस के संक्रमण का असर रेमिटेंस पर भी पड़ने वाला है.
विश्व बैंक ने अनुमान लगाया है कि साल 2020 में भारत में रेमिटेंस 23 फीसदी कम आ सकता है. इस साल प्रवासी भारतीय 64 बिलियन डॉलर रेमिटेंस भेज सकते हैं. एक साल पहले यानी 2019 में देश में 83 बिलियन डॉलर की रकम भेजी गई थी. पिछले साल रेमिटेंस में 6 फीसदी तक की बढ़त रही थी.
विश्व बैंक की ओर से जारी बयान के मुताबिक कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन की वजह से दुनियाभर की इकोनॉमी प्रभावित हुई है. यही वजह है कि इस साल ग्लोबली रेमिटेंस में 20 फीसदी तक की गिरावट आ सकती है. वहीं भारत के संदर्भ में बात करें तो रेमिटेंस 23 फीसदी कम रहने का अनुमान है. यह बीते कुछ सालों की सबसे बड़ी गिरावट है.
अगर भारत के पड़ोसी देशों की बात करें तो पाकिस्तान के रेमिटेंस में भी 23 फीसदी की गिरावट आ सकती है और ये 17 बिलियन डॉलर रहेगा. एक साल पहले यानी 2019 में 22.5 बिलियन डॉलर प्रवासी पाकिस्तानियों ने पैसे भेजे थे. वहीं बांग्लादेश में इस साल 14 बिलियन डॉलर रेमिटेंस आने का अनुमान है. यह एक साल पहले के मुकाबले 22 फीसदी कम है. इसी तरह, नेपाल और श्रीलंका के रेमिटेंस में क्रमश: 14 फीसदी और 19 फीसदी की गिरावट आ सकती है.
विश्व बैंक के अनुमान के मुताबिक यूरोप और सेंट्रल एशिया में 27.5 फीसदी रेमिटेंस कम रहने का अनुमान है. इसी तरह साउथ एशिया में 22.1 फीसदी, मिडिल ईस्ट और नॉर्थ अफ्रीका में 19.6 फीसदी कम रेमिटेंस आ सकता है. इस मामले में लैटिन अमेरिका और कैरिबियन को 19.3 फीसदी का नुकसान होने का अनुमान है.