लखनऊ। कांग्रेस के टिकट पर जीते विधायक मोहम्मद मुस्लिम, नवाब काज़िम अली खान, दिलनवाज़ खान और समाजवादी पार्टी के विधायक नवाजिश आलम खान ने बहुजन समाज पार्टी का दामन थाम लिया। बीएसपी के वरिष्ठ नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने इन नेताओं को पार्टी में शामिल कराया। इसके साथ ही बीजेपी के एक पूर्व एमएलए अवधेश वर्मा भी बीएसपी में शामिल हुए।
कांग्रेस के तीनों विधायकों तिलोई के मोहम्मद मुस्लिम, रामपुर की स्वार टांडा सीट से काजिम अली और बुलंदशहर के स्याना के विधायक दिलनवाज़ को लेकर पहले से ही चर्चा गर्म थी। राज्यसभा चुनाव में इन तीनों विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की थी, जिसके बाद पार्टी ने उन्हें निलंबित किया था। इन तीनों विधायकों ने बुधवार को आखिरकार बीएसपी में जाने का ऐलान कर दिया। इनके साथ सपा में उपेक्षित चल रहे बुढ़ाना सीट से विधायक नवाजिश आलम भी थे। बसपा के मुस्लिम चेहरे नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने इन सभी मुस्लिम विधायकों को पार्टी में शामिल कराया। कांग्रेस और सपा के अलावा बहुजन समाज पार्टी ने बीजेपी को भी झटका दिया। भगवा दल के पूर्व विधायक अवधेश वर्मा भी बीएसपी में शामिल हो गये। काजिम अली के काफी पहले से बसपा में जाने के कयास लगाये जा रहे थे। उन्होंने करीब सात माह पहले ही अपने पुत्र को बसपा ज्वाइन करवा दी थी। फिर राज्यसभा चुनावों में क्रास वोटिंग के आरोप में कांग्रेस ने उन्हें बाहर कर दिया था, तभी से उनके बसपा में शामिल होने का रास्ता साफ हुआ था।
इन विधायकों के बीएसपी में शामिल होने को पश्चिम यूपी की सियासत में बेहद अहम माना जा रहा है। पश्चिम यूपी में मुस्लिम वोट बैंक को देखते हुए रामपुर के नवाब खानदान से जुड़े नवाब काजिम अली उर्फ नावेद मियां के अलावा दिलनवाज, नवाजिश आलम के बीएसपी में शामिल होने के बाद पश्चिम यूपी में बीएसी की ताकत बढ़ेगी। दूसरी तरफ़ रायबरेली की तिलोई सीट से कांग्रेसी विधायक मोहम्मद मुस्लिम को बसपा ने अपने पाले में शामिल कर कांग्रेस को उसी के गढ़ में झटका माना जा रहा है।
एक तीर से कई बड़े निशाने लगाये बसपा ने
उत्तर प्रदेश में जैसे जैसे विधान सभा चुनाव नज़दीक आ रहा है यहां बिछी सियासी बिसात पर पार्टियां शह और मात के मोहरे चलने में लग गयी हैं। हर पार्टी ने अपनी चालों से ये संदेश देना शुरू किया है कि वो कितनी मजबूत है। इसी कड़ी में टूट से जूझ रही बहुजन समाज पार्टी ने भी अपने आपको को मजबूत दिखाने के लिए दूसरे दलों के नेताओं को पार्टी में शामिल करना शुरू कर दिया है। मोहम्मद मुस्लिम, काजिम अली खान, दिलनवाज और नवाजिश के जरिये बीएसपी ने मुस्लिम समुदाय को बड़ा संदेश देने की कोशिश की है। साथ ही इसे मुस्लिम सियासत में कांग्रेस के लिये बड़ा नुकसान कहा जा सकता है। बसपा में शामिल होने वाले चार मुस्लिम विधायकों में से तीन कांग्रेस के और एक सपा का है। जाहिर है एक साथ चार चार विधायकों का टूटकर हाथी पर सवार होना मुस्लिम वोटरों के लिये बड़ा संदेश जरूर देगा।
मायावती की इस चाल ने एक बात साफ़ कर दी है कि बीएसपी सुप्रीमो दलित, ब्राह्मण और मुस्लिम वोट बैंक को साधने की तैयारी में हैं। गौरतलब है कि यूपी में करीब 21 फ़ीसदी दलित, 18 फ़ीसदी मुस्लिम और 14 फ़ीसदी ब्राह्मण मतदाता हैं।
नवाब खानदान का कांग्रेस से हुआ मोहभंग
रामपुर में नवाब खानदान की सियासी जमीन पर नूरमहल की आस्था हमेशा कांग्रेस के साथ ही रही। बेगम नूरबानो खुद कांग्रेस से सांसद रहीं। अब बदले सियासी समीकरणों में उनके पुत्र नवाब काजिम अली की आस्था और मोह दोनों ही कांग्रेस से भंग हो गया था। रामपुर की सियासत में दूसरी धुरी आजम खां के रूप में है। नवाब घराने और आजम के बीच रिश्तों की तनातनी किसी से छुपी नहीं है। जब जब आजम मजूबत हुए नवाबी खानदाने के खिलाफ़ मोर्चा खोला, लेकिन इस दौरान नवाब रामपुर के घराने को कांग्रेस से उतनी मदद नहीं मिली जितनी उन्हें दरकार थी। यही वजह रही कि नूरमहल की आस्ता कांग्रेस से टूट गयी और यहां बसपा ने अपनी पैठ बना ली।