हर वर्ष मकर संक्रांति से पहले पशु- पक्षी प्रेमी पतंग उड़ाने के लिए चाइनीज मांझे का उपयोग न करने की गुहार मुंबईकरों से करते दिखाई पड़ते हैं।
इस के बावजूद पेंच लड़ाने और एक-दूसरे की पतंग काटने के चक्कर में शायद इस अपील को मुंबईकर नजरअंदाज कर देते हैं। यही कारण है कि पिछले वर्षों की तरह इस वर्ष भी महज तीन दिनों में मुंबई सहित आस-पास के इलाकों में एक हजार से अधिक पक्षियों के पर कटने यानी घायल होने और इतनी ही संख्या में पक्षियों के मरने की पुष्टि `बर्ड रेस्क्यु’ संस्थाओं ने की है। यह सारा कमाल चाइनीज मांझे से होने की बात करुणा ट्रस्ट से जुड़े मितेश एस. जैन ने कही।
मकर संक्रांति पर्व के दौरान देश में पतंग उड़ाने की परंपरा बरसों पुरानी है। पिछले कुछ वर्ष से प्रतिबंधित होने के बावजूद चीन में बने मांझे की मांग काफी बढ़ी है। यह मांझा आकाश में उड़नेवाले पक्षियों के अलावा बाइकसवारों की जान के लिए खतरनाक है। इस वर्ष भी चाइनीज मांझा कांदिवली और मालाड में बेजुबान पक्षियों के लिए काल बना है।
इन दोनों जगहों पर तीन दिन में लगभग ढाई-ढाई सौ पक्षी चाइनीज मांझे में फंसकर बुरी तरह घायल हुए हैं। १४ जनवरी से लेकर १६ जनवरी तक करुणा ट्रस्ट, समकित ग्रुप, अहिंसा चैरिटेबल ट्रस्ट, जीवदया परिवार, एलर्ट ग्रुप सहित अन्य संस्थाओं द्वारा चीरा बाजार से लेकर विरार तक घायल होनेवाले पक्षियों के लिए `प्रâी बर्ड मेडिकल वैंâप’ आयोजित किए थे। करुणा ट्रस्ट के मितेश जैन ने बताया कि विरार में २७, वसई में २०, मीरा-भाइंदर में ८७, कांदिवली में २५०, मालाड में २५०, गोरेगांव में ३०, मरीनलाइंस में ५० सहित भुलेश्वर में २० पक्षी चाइनीज मांझे में फंसकर बुरी तरह घायल हुए हैं।