श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर में आतंकियों से मुठभेड़ दौरान गंभीर रूप से घायल हुए सीआरपीएफ के 92वीं बटालियन के कमांडेंट चेतन चीता जल्द ही अस्पताल से डिस्चार्ज होंगे। Chetan
दो महीने की लंबी अवधि तक कोमा में रहने के बाद चीता होश में आ गए हैं। डाक्टरों की मानें तो चेतन अब बात भी कर रहे हैं। चीता का इलाज करने वाले एम्स के डॉक्टरों ने बताया कि अब चीता पूरी तरह फीट हैं.
अब उन्हें डिस्चार्ज किया जाएगा। चीता के अस्पताल से डिस्चार्ज होने को लेकर एम्स ट्रॉमा सेंटर के प्रमुख प्रो. अनुराग श्रीवास्तव आज एक प्रेस कांफ्रेस करेंगे।
जब चीता को घायल अवस्था में अस्पताल लाया गया था तो उनके सिर पर गोलियों के घाव थे।
उस समय उनके सिर में गंभीर चोटें थीं, शरीर का ऊपरी भाग बुरी तरह क्षतिग्रस्त था और दाईं आंख फूट गई थी।
जिसके बाद उनके बचने की उम्मीद काफी कम थी। डॉक्टर भी इसे कुदरत का करिश्मा ही मान रहे हैं। चीता को प्राथमिक इलाज के लिए श्रीनगर स्थित सेना के 92 बेस हॉस्पिटल में लाया गया। जहां से एयरलिफ्ट करके उन्हें दिल्ली स्थित एम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया। यहां 14 फरवरी से उनका इलाज जारी है।
आपको बता दें कि 14 फरवरी को बांदीपुरा में आतंकियों के साथ मुठभेड़ में चीता घायल हो गए थे। मुठभेड़ में चीता को 9 गोलियां लगीं थी, जो उनके शरीर को छलनी कर गईं।
एक गोली चेतन के सिर में लगी, जो सिर की हड्डी को चीरकर दाई आंख से बाहर निकल गई। गोली ब्रेन को छूकर निकल गयी, जिससे ब्रेन का एक हिस्सा डैमेज हो गया।
एक गोली दाएं हाथ में, एक बाएं हाथ में, एक दाएं पैर में और दो गोलियां कमर के निचले हिस्से में लगीं। कुल 9 बुलेट चेतन के शरीर में लगे थे। इसके बावजूद चेतन ने आतंकवादियों से लड़ते हुए 16 राउंड फायर किए। चेतन ने आतंकी को ढेर कर दिया।
मौत को मात देने वाले सेना के वीर जवान चेतन कुमार चीता की तुलना सियाचिन में तैनात हनुमंथप्पा से की जा रही है। हनुमंथप्पा वही बहादुर सैनिक हैं, जो सिचाचिन में अपने मोर्चे पर तैनाती के दौरान एक हिमस्खलन में बर्फ के नीचे छह दिनों तक दबे रहे।
उन्हें मलबे से जीवित बाहर निकाला गया। हालांकि इस दौरान शरीर के कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया था, जिससे उनकी मृत्यु हो गई थी।
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