27 जुलाई की रात सदी का सबसे लंबा Chandra Grahan देखने को मिलेगा। करीब 1 घंटे 43 मिनट तक पूर्ण चंद्र ग्रहण रहेगा। इस दौरान चांद पूरी तरह से पृथ्वी के साये में आ जाएगा। ब्लड मून की परिस्थिति भी देखने को मिलेगी। आपको बता दें कि चंद्रग्रहण का कुल वक्त 6 घंटे से ज़्यादा का है।
लेकिन पूर्ण चंद्र ग्रहण सिर्फ 1 घंटे 43 मिनट का होगा। भारत के हर इलाके में lunar Eclipse 2018 की झलक देखने को मिलेगी। वैसे, मैट्रो शहरों से दूर इलाकों में रहने वालों लोगों के लिए इस अनोखे खगोलीय घटना को देख पाना ज़्यादा सुगम होगा।
अगर आपके मन में यह सवाल है कि चंद्र ग्रहण क्या है? विज्ञान की भाषा में कहें तो चंद्रग्रहण उस खगोलीय स्थिति को कहते है जब चंद्रमा पृथ्वी के ठीक पीछे उसकी प्रच्छाया में आ जाता है। ऐसा तब होता है जब सूर्य, पृथ्वी और चन्द्रमा लगभग एक सीधी रेखा में आते हैं।
चंद्र ग्रहण 2018: भारत में दिन और वक्त
भारत में Chandra Grahan रात 11 बजकर 44 मिनट से दिखना शुरू होगा। पूर्ण चंद्र ग्रहण 28 जुलाई सुबह 1 बजे शुरू हो जाएगा। बता दें कि चांद रात 1 बजकर 15 मिनट पर पृथ्वी की छाया में पूरी तरह से आ जाएगा। ऐसी स्थिति सुबह 2 बजकर 43 मिनट तक बनी रहेगी। इस दौरान चांद पूरी तरह से लाल रंग का हो जाएगा जिसे Blood Moon के नाम से जाना जाता है। चंद्र ग्रहण सुबह 4 बजकर 48 मिनट तक लगा रहेगा। लेकिन प्रभाव उतना खूबसूरत नहीं होगा।
भारत में lunar eclipse 2018 कहां दिखेगा़
प्रदूषण के कारण कुछ मैट्रो शहरों में ग्रहण को देख पाना आसान नहीं होगा। लेकिन ग्रामीण इलाकों के लोग इस खगोलीय घटना का भरपूर मज़ा उठा पाएंगे। हालांकि, मॉनसून सीज़न होने के कारण संभव है कि चंदग्रहण बादलों को छुपा हुआ नज़र आए।
जुलाई 2018 में होने वाला चंद्र ग्रहण इस वजह से है खास
बता दें कि 27 जुलाई 2018 की रात लगने वाला Chandra Grahan सदी का सबसे लंबा ग्रहण होगा। इसके बाद 9 जून 2123 में इतना लंबा Lunar Eclipse देखने को मिलेगा। इसकी कई वजहें हैं इनमें से एक है अपनी-अपनी परिधि में चंद्रमा और धरती का एक-दूसरे से सबसे दूर होना है। इस कारण चांद आम तौर से ज़्यादा छोटा नज़र आता है। खासकर सुपर मून से बेहद ही छोटा, जब चांद धरती के सबसे करीब होता है।
क्या है Blood Moon?
जुलाई 2018 में लगने वाला चंद्र ग्रहण में ब्लड मून भी देखने को मिलेगा। इस दौरान चांद लाल रंग का नज़र आएगा। ऐसा तब होता है जब कुछ समय के लिए पूरा चांद अंतरिक्ष में धरती की छाया से गुजरता है। इस दौरान सूर्य की रोशनी धरती के वायुमंडल से गुजरते वक्त बिखर जाती है। इस दौरान लाल रंग के तरंग ब्लू और बैंगनी रंग के तरंगों की तुलना में कम बिखरते हैं। इस कारण से हमें ऐसा प्रतीत होता है कि चांद पूरी तरह से लाल हो गया है।