रूस और यूक्रेन के बीच युद्धविराम आज से शुरू हो गया है और 10 मई की मध्यरात्रि तक चलेगा। रूस ने भी ईस्टर रविवार, 19 अप्रैल को यूक्रेन के साथ युद्ध विराम की घोषणा की है। इसे शांति का मार्ग खोजने के लिए एक परीक्षा बताया जा रहा है।
रूसी विदेश मंत्रालय का कहना है कि युद्धविराम के दौरान यूक्रेन का व्यवहार दीर्घकालिक शांति का मार्ग खोजने के लिए एक परीक्षा होगी। दिमित्री पेस्कोव ने आगे कहा कि यदि यूक्रेन युद्धविराम का पालन नहीं करता है तो उचित जवाब दिया जाएगा।
बताते चलें कि रूस-यूक्रेन संघर्ष तीन वर्ष और तीन माह से चल रहा है। फरवरी 2022 में रूस ने यूक्रेन पर आक्रमण किया और यहां के बड़े हिस्से पर कब्ज़ा करने का प्रयास किया।
दोनों देशों के बीच जारी इस युद्ध को द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यूरोप में सबसे बड़ा संघर्ष माना जा रहा है। इस युद्ध में हजारों की संख्या में लोगों की मौत हुई जिसमें कई शरणार्थी शामिल हैं।
रूस-यूक्रेन के बीच यह तनाव नवंबर 2013 में उस वक़्त शुरू हुआ जब यूक्रेन के तत्कालीन राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच का कीव में विरोध शुरू हुआ। यानुकोविच को रूस का समर्थन हासिल था जबकि प्रदर्शनकारियों को अमरीका और ब्रिटेन का। बगावत के चलते फरवरी 2014 में यूक्रेन के राष्ट्रपति यानुकोविच को देश छोड़कर रूस में शरण लेनी पड़ी थी।
फरवरी 2014 में रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू हुआ। यूक्रेन की क्रांति के बाद, रूस ने यूक्रेन से क्रीमिया पर कब्जा कर लिया और उसे अपने साथ मिला लिया। इसके बाद इसने रूसी अर्धसैनिक बलों का समर्थन किया जिन्होंने यूक्रेन की सेना के खिलाफ पूर्वी डोनबास क्षेत्र में युद्ध शुरू किया।
पुतिन ने यूक्रेन की एक राज्य के रूप में वैधता को चुनौती देते हुए अप्रवासी और साम्राज्यवादी विचारों का समर्थन किया। उन्होंने निराधार रूप से दावा किया कि यूक्रेनी सरकार नव-नाजी है जो डोनबास में रूसी अल्पसंख्यकों के खिलाफ नरसंहार कर रही है। इस युद्ध का कारण स्पष्ट करते हुए पुतिन का कहना था कि यूक्रेन को “सैन्यीकरण और नाजी-मुक्त” कराना ही रूस का लक्ष्य है।
इसके अलावा रूस, अमरीका से आश्वासन चाहता है कि यूक्रेन को नाटो में शामिल नहीं किया जाएगा। इसके परिणामस्वरूप रूस और यूक्रेन का समर्थन करने वाले पश्चिमी देशों के बीच तनाव पैदा हो गया है।
हालांकि अमरीका ने यूक्रेन को आश्वासन दिया है कि रूस द्वारा आक्रमण की स्थिति में वह “निर्णायक रूप से जवाब” देगा।
बताते चलें कि रूस-यूक्रेन युद्ध का विश्व पर व्यापक प्रभाव पड़ा है, जिसमें आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक रूप से कई बदलाव हुए हैं।
इस युद्ध के नतीजे में खाद्य और ऊर्जा की कीमतों में वृद्धि हुई है, जिससे गरीब और विकासशील देशों में खाद्य असुरक्षा और आर्थिक मंदी हुई है।
इसके अलावा, युद्ध ने वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में बाधा डाली है, जिससे कुछ वस्तुओं की कमी हुई है और कीमतों में और वृद्धि हुई है। युद्ध ने विभिन्न देशों के बीच राजनीतिक तनाव को भी बढ़ा दिया है, जिससे अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में जटिलता आई है।