बैंगलुरू। कर्नाटक में कावेरी जल विवाद मुद्दे पर गुस्साए किसान कई जगह पर प्रदर्शन कर रहे हैं। इसी कारण से बैंगलुरु-मैसूर हाईवे पूरी तरह से बंद है और 700 बसें हाईवे पर नहीं चल पाई हैं। हाल में सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक को आदेश दिया था कि वो अगले दस दिन तक तमिलनाडु के लिए रोज़ाना 15 हज़ार क्यूसेक्स पानी रिलीज़ करे। तमिलनाडु के कुछ इलाक़ों में किसानों ने अपनी फ़सल को बचाने के लिए 20 हज़ार क्यूसेक्स पानी की गुहार लगाई थी।
लेकिन कर्नाटक का ‘राइस बोल’ कहे जाते मंड्या में किसानों ने इस पर एतराज़ जताया और हाईवे को ब्लॉक कर दिया। उन्होंने कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता की तस्वीर वाले बोर्ड और विज्ञापन उतार दिए और उन्हें जला डाला।
किसानों के गुस्से को देखते हुए मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने सर्वदलीय बैठक बुलाई है ताकि सुप्रीम कोर्ट की डिविज़न बेंच के आदेश पर विचार किया जा सके। उनका कहना है कि अदालत का आदेश कर्नाटक को पानी छोड़ने के अलावा कोई विकल्प ही नहीं देता है।
कर्नाटक के पुलिस महानिदेशक ओमप्रकाश ने बताया, “ये प्रदर्शन मैसूर और मंड्या में हो रहे हैं और बैंगलूरु-मैसूर के बीच मुख्य रूट के अलावा अन्य रास्तों पर भी वाहनों की आवाजाही प्रभावित हुई है। हमे मंड्या और मैसूर में कावेरी पर बने चार बांध पर रेपिड एक्शन फ़ोर्स समेत 9300 पुलिसकर्मियों को तैनात करना पड़ा है।”
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कर्नाटक सरकार को ये आदेश सुनाया था। उधर तमिलनाडु भी सुरक्षा कारणों से अपने वाहनों को कर्नाटक की सीमा में प्रवेश करने से रोक रहा है। सामान्य मानसून के दौरान तमिलनाडु और कर्नाटक दोनों राज्यों को समस्या नहीं आती, लेकिन दक्षिण पश्चिमी मानसून के कमजोर रहने पर दोनों राज्यों को ‘दिक्कत’ शुरु हो जाती है।
पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा ने बताया, “कर्नाटक पुर्नविचार याचिका भी दायर नहीं कर सकता है। कर्नाटक को आदेश को मानना होगा। या फिर कर्नाटक को पुराने मैसूर के जिलों की फसलों का पानी रोकना पड़ेगा। इसके अलावा बंगलुरु और मैसूर के जिलों के पीने के पानी की सप्लाई को रोकना पड़ेगा। सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक के सामने कोई विकल्प नहीं छोड़ा है।”
देवगौड़ा कावेरी जल विवाद के विशेषज्ञ के तौर पर भी जाने जाते हैं। उनके अनुसार, ‘आदेश में यह साफ तौर पर लिखा है अगर कर्नाटक ने इस आदेश का पालन नहीं किया तो निगरानी कमेटी इस आदेश को लागू करवाने के लिए जलाशयों का नियंत्रण लेकर पानी छोड़ देगी।’
सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश तमिलनाडु की याचिका पर आया है। इस याचिका में तमिलनाडु ने सांबा चावल की फसल को बचाने के लिए पानी छोड़ने की गुहार लगाई थी। कर्नाटक ने इसका जवाब देते हुए कहा, “ट्रिब्यूनल(प्राधिकरण) के आदेशों का पालन करने के लिए, वह पानी नहीं छोड़ सकता है। कर्नाटक के अनुसार उसके चार जलाशयों में केवल 47 टीएमसी फीट पानी है जबकि इनमें सामान्यत: 114 टीएमसी फीट पानी होना चाहिए।”