जो लोग नियमित रूप से व्यायाम करते हैं उनके मस्तिष्क के कुछ क्षेत्र थोड़े बड़े और अधिक ऊर्जावान होते हैं। ये बात एक नए अध्ययन में सामने आई है।
यह भी देखा गया है कि यह परिवर्तन मस्तिष्क के उन हिस्सों में अधिक देखा जाता है जिन्हें अधिक ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। यद्यपि व्यायाम मस्तिष्क के लिए लाभकारी होने के सम्बन्ध में विशेषज्ञों द्वारा मस्तिष्क पर इसके प्रभावों पर पहले अधिक विस्तार से विचार नहीं किया गया है।
शारीरिक परिश्रम और व्यायाम का मस्तिष्क पर गहरा और सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। दूसरी ओर स्मृति के लिए मस्तिष्क के एक महत्वपूर्ण भाग हिप्पोकैम्पस में भी वृद्धि देखी गई।
वैज्ञानिकों ने यह भी कहा है कि व्यायाम से अल्जाइमर, पार्किंसन और डिमेंशिया जैसी बीमारियों के खतरे को भी कम किया जा सकता है।
वैज्ञानिक मानते हैं कि मस्तिष्क को समग्र रूप से समझने की कोशिश की ज़रूर की गई लेकिन मस्तिष्क के विभिन्न हिस्सों पर व्यायाम के प्रभावों को देखा जाना पहला कदम है।
विशेषज्ञों ने राइनलैंड अध्ययन का उपयोग किया, जो बॉन, जर्मनी में DZNE द्वारा आयोजित एक व्यापक अध्ययन के हवाले से किया गया। इसमें 30 से 94 साल के बीच के 2550 लोगों का ब्रेन एमआरआई किया गया। इसमें शामिल सभी प्रतिभागियों ने ऊपरी जांघ पर एक एक्सेलेरोमीटर पहना था जो हरकत पर निगाह रखते हुए इसे रिकॉर्ड करता था। उन व्यक्तियों में सेरेब्रल कॉर्टेक्स और मस्तिष्क में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई जो अधिक शारीरिक रूप से सक्रिय या व्यायाम करते थे।
इस प्रयोग से इशारा मिला कि शारीरिक परिश्रम और व्यायाम का मस्तिष्क पर गहरा और सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। दूसरी ओर स्मृति के लिए मस्तिष्क के एक महत्वपूर्ण भाग हिप्पोकैम्पस में भी वृद्धि देखी गई। तब विशेषज्ञों ने कहा कि मस्तिष्क जितना बड़ा होगा, उसके निष्क्रिय होने की संभावना उतनी ही कम होगी।
विशेषज्ञ यह भी बताते हैं कि औसत व्यायाम भी मस्तिष्क पर सकारात्मक प्रभाव डालता है और इसे बढ़ाता है। विशेषज्ञों ने इस शोध की सराहना की है। इस प्रकार 15 मिनट के व्यायाम से भी मस्तिष्क पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। ऐसे में लिफ्ट की जगह सीढ़ियां चढ़ने से भी बुढ़ापे में डिमेंशिया में कमी आ सकती है, वहीं युवाओं को इसका फायदा मिल सकता है।