बिहार में महागठबंधन के बीच सीट शेयरिंग को लेकर पेच फंस गया है. राज्य की कुल 40 लोकसभा सीटों में से आरजेडी कम से कम 20 सीटें अपने पास रखना चाहती है. बाकी बची सीटों को सहयोगी दलों के लिए छोड़ रही है. वहीं, कांग्रेस 12 सीटें मांग रही है, पर आरजेडी उसे महज 8 सीटें ही देना चाहती है.
लोकसभा चुनाव 2015 में बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए को बिहार में मात देने के लिए कांग्रेस, आरजेडी सहित कई छोटे दलों ने मिलकर महागठबंधन बना लिया है. प्रदेश में एनडीए के सहयोगी दलों के बीच सीट शेयरिंग तय है, जबकि महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर पेच फंसा हुआ है. अभी तक कोई फार्मूला सामने नहीं आया है.
बिहार की कुल 40 लोकसभा सीटों में से आरजेडी कम से कम 20 सीटें अपने पास रखना चाहती है. बाकी बची सीटों को सहयोगी दलों के लिए छोड़ रही है. वहीं, कांग्रेस 12 सीटें मांग रही है पर आरजेडी उसे महज 8 सीटें ही देना चाहती है. हालांकि आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने सहयोगी दलों के नेताओं के साथ मुलाकात के बाद ही तय कर दिया था कि 14 जनवरी मकर संक्रांति के बाद सीट बंटवारे का ऐलान कर दिया जाएगा, लेकिन कांग्रेस के 12 सीटों की डिमांड के बाद मामला अभी तय नहीं हो सका.
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी 3 फरवरी को बिहार में पटना के गांधी मैदान से 2019 लोकसभा का चुनावी बिगुल फूकेंगे. माना जा रहा है कि राहुल के बिहार दौरे के बाद ही महागठबंधन के सीट शेयरिंग की औपचारिक घोषणा की जा सकती है.
दरअसल कांग्रेस बिहार में 2014 के लोकसभा चुनाव में 12 संसदीय सीटों पर चुनावी मैदान में उतरी थी और 2 सीटें जीतने में सफल रही थी. यही वजह है कि कांग्रेस इस बार भी 12 सीटों पर दावा ठोक रही है. आरजेडी पिछले लोकसभा चुनाव में 27 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और 4 सीटें जीती थी. हालांकि आरजेडी का तर्क है कि इस बार कई अन्य दल महागठबंधन का हिस्सा बने हैं. ऐसे में दोनों पार्टियों को समझौते करने होंगे.