ढाका। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कहा कि हिंसा से बचने के लिए पड़ोसी देश म्यामां से आए करीब 10 लाख रोहिंग्या मुसलमानों को उनकी सरकार समर्थन देना जारी रखेंगी। हसीना ने कहा कि सरकार अंतरराष्ट्रीय सहायता एजेंसियों की मदद से एक द्वीप पर रोहिंग्या के लिए अस्थाई शरण स्थलों को बनाए जाने की एक योजना पर विचार कर रही है।
संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्र में भाग लेने के बाद न्यूयार्क से लौटने पर ढाका हवाई अड्डे पर उन्होंने यह बात कही। संयुक्त राष्ट्र ने म्यामां में हुई हिंसा को नस्ली सफाया बताया है। हसीना ने म्यामां पर सीमा पर तनाव उत्पन्न करने का आरोप लगाया, लेकिन उन्होंने देश के सुरक्षा बलों से इस संकट से बहुत सावधानी से निपटने के लिए कहा।
हसीना ने दोहराया कि रोहिंग्या मुस्लिम जब तक म्यामां में अपने घरों को नहीं लौट जाते तब तक ये बस्तियां उनके लिए अस्थाई है। उनकी सरकार रोहिंग्या मुस्लिमों को खाद्य सामग्री और शरण उपलब्ध कराकर मदद देती रहेगी।
उन्होंने कहा कि यदि जरूरत पड़ी तो हम एक दिन में एक बार भोजन करेंगे और शेष उनके साथ साझा करेंगे। म्यामां में हिंसा के बाद गत अगस्त से बांग्लादेश में पांच लाख से अधिक रोहिंग्या मुस्लिम आ चुके है।
म्यामां रोहिंग्या को नस्ली समूह के रूप में मान्यता नहीं देता है। इसके बजाय उसका कहना है कि रोहिंग्या बांग्लादेश के बंगाली प्रवासी है और देश में वे अवैध रूप से रह रहे है। रखाइन प्रांत में हाल में हुई हिंसा को रोकने में विफल रहने पर म्यामां को अंतरराष्ट्रीय आलोचना का भी सामना करना पड़ा था।