लखनऊ : आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने गलत तरीके से तलाक करने वालों का बायकॉट करने का निर्णय लिया है। लखनऊ में ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की दो दिनी बैठक आज सम्पन्न हो गई। Ayodhya
इस बैठक के अंतिम दिन आज तीन तलाक के मसले पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कोड ऑफ कंडक्ट जारी किया। बोर्ड ने गलत तलाक देने वालों का बायकॉट करने का निर्णय लिया है।
इसके साथ अयोध्या के विवादित ढांचे पर बोर्ड सुप्रीम कोर्ट का फैसला मानेगा। आज की बैठक में कहा गया कि बाहर इस विवाद को सुलझाने की कोशिशें नाकाम हुई हैं।
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने मां-बाप को जायदाद में बेटियों को हक देने का निर्णय भी लिया है।
बोर्ड ने कहा कि बाबरी मस्जिद मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय के फैसले को मानेंगे। बोर्ड ने कहा अयोध्या मामले पर कोर्ट के बाहर कोई बातचीत नही होगी।
बैठक में हुई चर्चा के बाद बोर्ड ने बड़ा बयान देते उए कहा अयोध्या मामले पर कोर्ट के बाहर कोई बातचीत नही होगी। बोर्ड ने ये भी कहा की इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला ही मानी होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा था की इस मामले में दोनों समुदाय के लोग कोर्ट से बाहर बातचीत करके मसले का हल ढूंढ लें। कोर्ट ने ये भी कहा थी यदि जरूरत पड़ी तो कोर्ट इस मामले में मध्यस्थता करने को तैयार है।
गौरतलब हो की पिछले माहिने सुप्रीम कोर्ट ने बीजेपी ने सुब्रह्मण्यम स्वामी की याचिका पर टिप्पणी देते हुए कहा था कि रामजन्म भूमि बाबरी मस्जिद विवाद मामले में दोनों पक्षों को बातचीत के आधार पर हल निकालना चाहिए।
बोर्ड के महासचिव मौलाना वली रहमानी ने कार्यकारिणी की महत्वपूर्ण बैठक में कहा कि देश में पर्सनल लॉ पर कुछ इस तरह चर्चा होने लगी है कि अब उनकी अहमियत और उपयोगिता पर सवाल खड़े किए जाने लगे।
आज बैठक की समाप्ति के बाद दावा किया कि देश में शरई कानूनों में किसी भी तरह की दखलंदाजी को सहन नहीं किया जाएगा। इसके साथ ही देश में ज्यादातर मुसलमान मुस्लिम पर्सनल लॉ में किसी भी तरह का बदलाव नहीं चाहते।
बोर्ड ने कहा कि मुस्लिम दहेज के बजाय संपत्ति में हिस्सा दें, तलाकशुदा महिला की मदद की जाय। बोर्ड तीन तलाक की पाबंदी के खिलाफ है।
इसके साथ ही शरीअत के बारे में कोई जानकारी ना रखने वाले लोगों ने इस पर उंगली उठाना शुरू कर दिया है। ऐसे हालात में शरीअत का सही रूप देश के सामने रखने के लिए बोर्ड की जिम्मेदारी और बढ़ गई है।
मौलाना ने कहा कि मुल्क में मुस्लिम पर्सनल लॉ को लेकर बोर्ड के हाल में चलाए गए हस्ताक्षर अभियान के माध्यम से मुसलमानों ने एक बार फिर यह बता दिया कि हिन्दुस्तान का संविधान इस देश के तमाम नागरिकों को अपने धार्मिक मामलों पर अमल करने की आजादी देता है और मुसलमान मर्द और औरतें शरई कानूनों में कोई भी बदलाव या हस्तक्षेप नहीं चाहते।
बोर्ड ने फिर से एक बार इस बात को साफ किया कि धार्मिक आजादी हमारा संवैधानिक अधिकार है। हमारे शरई मामलों में सरकार का हस्तक्षेप बिलकुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
पर्सनल लॉ पर अमल करने की राह में कोई रुकावट न पैदा की जाए। आज बैठक की अध्यक्षता बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना मुहम्मद राबे हसनी नदवी ने की।
आल इंडिया पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक में आज बाबरी एक्शन कमेटी के संयोजक जफरयाब जिलानी , एआईएमआईएम के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी , मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली, मौलाना कल्बे सादिक और मौलाना वाली रहमानी शामिल हुए थे।
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