मेलबर्न। ऑस्ट्रेलिया के चुनावी नतीजों में सत्तारुढ़ पार्टी को झटका लगा है। जहां कांटे की चुनावी टक्कर में मतदाताओं ने किसा भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं दिया। जिसके बाद आस्ट्रेलिया में त्रिशंकु संसद बनने की संभावना बन गयी है। इससे वहां सरकार बनाने के लिये निर्दलीय सांसदों और छोटी पार्टियों से मदद लेनी पड़ सकती है। मतदाताओं ने 55 राजनीतिक दलों के 1600 उम्मीदवारों की चुनावी किस्मत का फैसला करने के लिए अपने मताधिकार का प्रयोग किया।
आस्ट्रेलिया के इन आम चुनावों में भारतीय मूल के पांच उम्मीदवार भी चुनावी जंग में कूदे हैं। मतगणना में सत्तारूढ़ गठबंधन के खिलाफ 28 प्रतिशत झुकाव है और उसके 10 से ज्यादा सांसद चुनाव हार रहे हैं। हालांकि नतीजों में 150 सदस्यों के निचले सदन में 12 सीटों पर तस्वीर साफ नहीं हुयी है। ऑस्ट्रेलियन इलेक्टोरल कमिशन के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार विपक्षी लेबर पार्टी को 71 सीटें मिली हैं जबकि सत्तारूढ़ लिबरल-नेशनल कोअलिशन को 67 सीटें मिल रही हैं।
निवर्तमान संसद में सत्तारूढ़ गठबंधन को 90 सीटें थी। नतीजों से साफ़ है कि निर्दलीय और छोटी पार्टियों को इस चुनाव में बहुत फायदा हुआ है। जिसके बाद ऑस्ट्रेलियाई सरकार की तस्वीर 11 सीटों से तय होगी। इनमें से छह में लेबर पार्टी आगे चल रही है। इस चुनाव में 45वीं संसद के लिए 226 सांसद चुने जा रहे हैं जिसमें निचले सदन के लिए 150 सदस्य शामिल हैं।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अगर सत्तारूढ़ गठबंधन को 76 से कम सीटें मिली तो उसे सत्ता में टिकने के लिए निर्दलीय और छोटी पार्टियों के साथ मोल-तोल करना पड़ेगा। इस बीच, अस्पष्ट नतीजों के बावजूद टर्नबुल बहुमत की सरकार का गठन करने के प्रति अपना विश्वास जता रहे हैं।