मंगलवार 26 मार्च को 21वें दिन सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने अपनी भूख हड़ताल खत्म कर दी। भूख हड़ताल खत्म करने के बाद सोनम वांगचुक ने कहा- ये आंदोलन का अंत नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत है।
सोनम वांगचुक लद्दाख के लोगों की मांगों को लेकर 6 मार्च से अनशन पर थे। इसमें लद्दाख को पूर्ण राज्य बनाने के लावा स्थानीय लोगों के लिए नौकरी में आरक्षण, लेह और कारगिल के लिए एक-एक संसदीय सीट तथा संविधान की छठी अनुसूची लागू करने की मांग शामिल है।
वांगचुक ने इसे आंदोलन का अंत नहीं बल्कि एक नई शुरुआत बताया है। इन मांगों को लेकर कल से महिलाएं भूख हड़ताल करेंगी। इस पर इन लोगों का कहना है कि हमें जब तक आंदोलन करना पड़े, हम करेंगे।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटा दिया था। इसके बाद जम्मू-कश्मीर एक अलग केंद्र शासित प्रदेश बना। वहीँ कारगिल और लेह को मिलाकर लद्दाख भी अलग केंद्र शासित प्रदेश बना।
'मैं 21 दिन बाद अनशन ख़त्म कर रहा हूं, लेकिन ये लड़ाई अभी ख़त्म नहीं हुई है…'
लद्दाख में भूख हड़ताल पर बैठे एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक ने अनशन ख़त्म करते हुए क्या कहा? pic.twitter.com/mGy9fDliQS
— BBC News Hindi (@BBCHindi) March 27, 2024
स्वयं को राजनीतिक तौर पर बेदखल महसूस करने वाले लेह और कारगिल के लोगों ने केंद्र के खिलाफ आवाज उठाई। इन लोगों ने बीते दो वर्षों में लोगों ने कई बार विरोध-प्रदर्शन कर पूर्ण राज्य का दर्जा और संवैधानिक सुरक्षा की मांग की ताकि उनकी जमीन, नौकरियां और अलग पहचान बनी रहे, ये अधिकार आर्टिकल 370 के तहत उन्हें मिला था।
इन्हीं मांगों को लेकर यहाँ बौद्ध बहुल लेह तथा मुस्लिम बहुल कारगिल के नेताओं ने लेह स्थित एपेक्स बॉडी और कारगिल डेमोक्रेटिक एलायंस से हाथ मिलाया। इसके नतीजे में लद्दाख में बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन और भूख हड़ताल होने लगीं।
मांगों पर विचार करने के लिए केंद्र ने एक हाई लेवल कमेटी का गठन किया मगर प्रदर्शनकारियों के साथ बातचीत सफल नहीं हो सकी।
लद्दाख के नेताओं ने 4 मार्च को गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की और बताया कि केंद्र ने मांगें मानने से इनकार दिया है। इसके दो दिन बाद वांगचुक ने लेह में अनशन शुरू किया था।