कोपेनहेगन: एक नए अध्ययन से पता चला है कि छाती के एक्स-रे में फेफड़ों की सामान्य बीमारियों की पहचान करने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर भरोसा नहीं किया जा सकता है।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, शोधकर्ताओं ने 2,000 से अधिक एक्स-रे का विश्लेषण करने के लिए 72 रेडियोलॉजिस्ट की मदद ली और दूसरी ओर इसी जानकारी का पता लगाने के लिए चार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टूल्स का भी सहयोग लिया।
जर्नल रेडियोलॉजी में प्रकाशित निष्कर्षों से पता चलता है कि इस प्रतियोगिता में मानव विशेषज्ञों ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टूल्स से बेहतर प्रदर्शन किया।
In a study of more than 2,000 chest X-rays, radiologists outperformed AI in accurately identifying the presence and absence of three common lung diseases, according to a study published in @radiology_rsna. https://t.co/3y2MrUbw7v pic.twitter.com/voj96INE2v
— RSNA (@RSNA) September 27, 2023
डेनमार्क के कोपेनहेगन में हर्लेव और जेंटोफ्ट अस्पताल में रेडियोलॉजी पीएचडी स्कॉलर और प्रमुख शोधकर्ता डॉ. लुईस प्लेसनर ने कहा कि छाती रेडियोग्राफी बीमारी को पहचानने के लिए अपनाई जाने वाली एक सामान्य निदान पद्धति है, लेकिन बीमारी की सही पहचान करने के लिए हमेशा महत्वपूर्ण प्रशिक्षण और अनुभव की आवश्यकता होती है।
प्लेसनर ने समाचार विज्ञप्ति में कहा कि रेडियोलॉजी विभागों में उपयोग के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता उपकरणों को तेजी से मंजूरी दी जा रही है, लेकिन वास्तविक नैदानिक अर्थ में अब उनकी आवश्यकता नहीं है।
आगे वह कहते हैं कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस छाती के एक्स-रे में रेडियोलॉजिस्ट की सहायता कर सकती है, लेकिन उनकी नैदानिक सटीकता अभी तक विश्वसनीय नहीं है।