शिक्षा मंत्रालय ने बुधवार को हुई यूजीसी-नेट की परीक्षा रद्द कर दी है। परीक्षा के बारे में गृह मंत्रालय के इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर में प्राप्त इनपुट को देखते हुए इसमें किस गड़बड़ी की आशंका से ऐसा क़दम उठया गया है। परीक्षा रद्द करने के साथ ही शिक्षा मंत्रालय ने इसकी जांच का ज़िम्मा सीबीआई को सौंप दिया है।
शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक़ प्रथम दृष्टया परीक्षा में गड़बड़ी के संकेत मिले हैं। मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी यानी एनटीए द्वारा इसी महीने की 18 तारिख को देश भर में दो शिफ्ट में पेन और पेपर मोड में यूजीसी-नेट की परीक्षा आयोजित की गई थी। परीक्षा रद्द करने के तुरंत बाद ही शिक्षा मंत्रालय ने इसकी जांच का ज़िम्मा सीबीआई को सौंप दिया है।
गौरतलब है कि यह परीक्षा साल में दो बार जून और दिसंबर के महीने में होती है। देश भर की यूनिवर्सिटीज में जेआरएफ यानी जूनियर रिसर्च फेलोशिप तथा असिस्टेंट प्रोफ़ेसर के पद के लिए इस परीक्षा में लाखों बच्चे बैठते हैं।
दो पालियों में संपन्न कराई जाने वाली इस परीक्षा में कुल 9 लाख 8 हजार 580 बच्चों ने पेपर दिया था। सुबह की पहली पाली 9:30 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक थी जबकि दूसरी पाली दोपहर 03:00 बजे से शाम 06:00 बजे तक थी।
सम्मिलित छात्रों को तीन घंटे की परीक्षा में दो पेपर देने होते हैं। पहला सामान्य पेपर सबके लिए समान होता है जबकि दूसरा पेपर छात्र द्वारा चुने गए विषय जिस पर आधारित होता है।
यूजीसी-नेट के पहले पेपर में 50 सवाल जबकि दूसरे में 100 सवाल होते हैं। मल्टीपल चॉइस वाले इन सवालों के लिए छात्रों को ओएमआर शीट के ज़रिए हल करना होता है। इस परीक्षा में ग़लत जवाब देने पर माइनस मार्किंग नहीं होती है।
यूजीसी से मिली जानकारी के अनुसार इस वर्ष के नेट एग्जाम को कराने के लिए 317 शहरों में 1205 सेंटर बनाए गए थे। इसके लिए 11 लाख 21 हजार 225 छात्रों ने आवेदन किया था इनमे से 81 प्रतिशत छात्र ही परीक्षा देने के लिए पहुंचे थे।
बताते चलें कि वर्ष 2018 से एनटीए द्वारा यूजीसी की इस परीक्षा का आयोजन किया जा रहा है। गौरतलब है कि कंप्यूटर आधारित इस परीक्षा के लिए एजेंसी ने तय किया कि छात्र अलग-अलग सेंटर्स पर एक साथ पेन, पेपर की सहायता से यह परीक्षा देंगे। नीट परीक्षा 2024 विवाद को लेकर एनटीए पहले ही सवालों के घेरे में है।