निर्वाचन आयोग का कहना है कि वोटर आईडी को आधार से जोड़ने का काम मौजूदा कानून और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के मुताबिक़ किया जाएगा।
इस संबंध में आयोग ने यह भी कहा कि इस प्रक्रिया के लिए यूआईडीएआई और उसके विशेषज्ञों के बीच तकनीकी परामर्श जल्द शुरू होगा।
मतदाता पहचान पत्र को आधार से जोड़ने के मामले में मंगलवार को निर्वाचन आयोग ने केंद्रीय गृह सचिव, विधायी सचिव (कानून मंत्रालय में), इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव सहित यूआईडीएआई (भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के साथ बैठक की।
नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने इस मुद्दे पर सोशल मीडिया पोस्ट में कहा- ‘आज चुनाव आयोग ने घोषणा की है कि वह आधार को मतदाता पहचान-पत्रों से जोड़ेगा। कांग्रेस और इंडिया गठबंधन की पार्टियां लगातार मतदाता सूचियों के मुद्दे उठाते रहे हैं, जिसमें असामान्य रूप से अधिक संख्या में नाम जोड़ना, अप्रत्याशित रूप से हटाना और डुप्लिकेट मतदाता पहचान-पत्र के आंकड़े शामिल हैं।’
राहुल गाँधी ने आगे कहा कि आधार डुप्लिकेट मतदाता पहचान-पत्र की समस्या से निपटने में सहायता करेगा लेकिन गरीब और हाशिए पर पड़े लोगों को लिंकिंग प्रक्रिया में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।
राहुल ने ईसीआई को यह सुनिश्चित करने को कहा कि कोई भी भारतीय अपने वोट से वंचित न रहे, और गोपनीयता संबंधी चिंताओं का समाधान भी किया जाए।
इसके बाद राहुल गाँधी ने अपनी पिछली मांग की तरफ आयोग का ड़याँ आकृष्ट करते हुए कहा- ‘अब जबकि चुनाव आयोग ने इस समस्या को स्वीकार कर लिया है, मैं अपनी पिछली मांग को दोहराता हूं कि उसे महाराष्ट्र 2024 विधानसभा और लोकसभा चुनावों की पूरी मतदाता सूची को सार्वजनिक रूप से साझा करके, नाम जोड़ने और हटाने के मुद्दे को भी संबोधित करना चाहिए।’
बताते चलें कि सरकार द्वारा राज्यसभा में अप्रैल 2023 में एक लिखित उत्तर में बताया गया था कि आधार के विवरणों को मतदाता पहचान पत्रों से जोड़ने का काम शुरू नहीं हुआ है। सरकार का कहना है कि यह कार्य ‘प्रक्रिया संचालित’ है और प्रस्तावित कार्य के लिए कोई लक्ष्य या समय सीमा निर्धारित नहीं की गई है।
इसके साथ ही सरकार द्वारा यह आश्वस्त भी दिया गया है कि जो लोग अपने आधार विवरण को मतदाता सूची से नहीं जोड़ेंगे, उनके नाम मतदाता सूची से नहीं हटाए जाएंगे।