संयुक्त अरब अमीरात में पहली बार इस्लामी महीने का चाँद देखने के लिए आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। इस प्रकार, संयुक्त अरब अमीरात चंद्रमा को देखने के लिए ड्रोन और एआई का उपयोग करने वाला पहला देश बन गया।
भारत के किसी भी हिस्से में शुक्रवार को इस्लाम के पवित्र महीने रमजान का चांद नज़र नहीं आया है और पहला रोज़ा दो मार्च (रविवार) को होगा। चांदनी चौक स्थित फतेहपुरी मस्जिद के शाही इमाम मौलाना मुफ्ती मुकर्रम अहमद ने बताया कि दिल्ली-एनसीआर में सुबह से ही बादल छाए हुए थे जिस वजह से यहां तो चांद नजर नहीं आया।
सऊदी मीडिया के अनुसार, राज्य में कई स्थानों पर रमजान का बिना किसी टूल के केवल आंखों से देखा गया। बताते चलें कि संयुक्त अरब अमीरात की सरकार ने भी जनता से खुली आंखों से चांद की खोज करने और सबूत पेश करने की अपील की थी।
अरब मीडिया के अनुसार, संयुक्त अरब अमीरात की फतवा परिषद ने चांद देखने के लिए आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल की अनुमति दी। फतवा काउंसिल ने कहा कि ड्रोन का उपयोग करके सीधे चांद को देखना एक महत्वपूर्ण कदम होगा और इसे चांद के दिखने की पुष्टि का आधार माना जा सकता है।
जिसके बाद पहली बार रमजान के चांद को देखने के लिए ड्रोन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल किया गया। सऊदी अरब के सुप्रीम कोर्ट ने विश्वसनीय साक्ष्य प्राप्त होने पर रमजान का चांद दिखने की घोषणा की की जिसके साथ ही वहां आज रोजे का पहला दिन होगा।
सऊदी अरब में चाँद दिखने के बाद, यह एक ऐतिहासिक दिन भी बना। हर 33 साल में एक बार ऐसा दिन आता है इस्लामी और ईसाई महीने एक ही तारीख को शुरू हो। आज ओमान, ब्रुनेई, मलेशिया, ऑस्ट्रेलिया और अन्य देशों में भी रोज़े का पहला दिन है।