आज यानी 24 फ़रवरी 2025 को यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के तीन वर्ष हो रहे हैं। इस दौरान देश की नागरिक आबादी को लगभग हर रोज़ हमलों का सामना करना पड़ रहा है। उनके साथ रहने वाले संयुक्त राष्ट्र के कर्मचारी, उन्हीं कठिन परिस्थितियों को सहन करते हुए हर पल मुस्तैद रहे हैं।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद यूक्रेन युद्ध से संबंधित दो अलग-अलग प्रस्तावों पर मतदान करेगी, जिसमें अमरीका ने यूरोपीय संघ और यूक्रेन प्रस्ताव की तुलना में तटस्थ प्रस्ताव पेश किया है। यूक्रेन और यूरोपीय संघ के संयुक्त प्रस्ताव में यूक्रेन पर रूसी आक्रमण का उल्लेख किया गया है तथा रूसी सेनाओं की वापसी का आह्वान किया गया है।
यूक्रेन युद्ध पर यह मतदान अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। क्या यूरोपीय संघ और यूक्रेन के प्रस्ताव को समर्थन मिलेगा, या अमरीका का तटस्थ रुख अधिक देशों को प्रभावित करेगा? इसका निर्णय आज संयुक्त राष्ट्र में मतदान के बाद घोषित होगा।
इसके विपरीत अमरीकी प्रस्ताव में ‘रूस-यूक्रेन संघर्ष’ जैसे शब्दों का प्रयोग किया गया है, जिसे पर्यवेक्षक एक कूटनीतिक रणनीति कह रहे हैं।
इस घटनाक्रम पर टिप्पणी करते हुए अमरीकी राष्ट्रपति के सलाहकार माइक वाल्ट्ज ने कहा कि यूक्रेन नीति में बदलाव किया जा रहा है, तथा सहायता प्राथमिकताओं की समीक्षा सहित यूक्रेन के सामरिक संसाधनों की बिक्री से संबंधित मुद्दों पर भी विचार किया जा रहा है।
गौरतलब है कि यूक्रेन में 24 फ़रवरी 2022 के बाद से अधिकतर बच्चों ने स्कूल जाना बन्द कर दिया, लोगों का कामकाज भी ख़त्म हो गया। बताते चलें कि युद्ध के इन तीन वर्षों में अनेक यूक्रेनी महिलाएँ अकेले ही बच्चों की परवरिश कर रही हैं, उन्हें सहारा देने के लिए, रोज़गार शुदा कामकाज की तलाश कर रही हैं और युद्ध से उन्हें सुरक्षित रखने के लिए लगातार स्थान बदल रही हैं।
रिपोर्ट बताती हैं कि लगभग 75 हज़ार यूक्रेनी महिलाएँ सेना में सेवा दे रही हैं और ऐसे समूह का प्रतिनिधित्व करती हैं जिनकी ज़रूरतें भिन्न हैं और जिन्हें विशेष समर्थन की आवश्यकता है।
संयुक्त राष्ट्र के मानवीय मामलों के समन्वय कार्यालय (OCHA) का कहना है कि पिछले तीन वर्षों में 12 हज़ार 600 से अधिक लोगों की मौत की पुष्टि हुई है और 29 हज़ार से अधिक लोग घायल हुए हैं।