सुप्रीम कोर्ट ने विदेश में रह कर मेडिकल की पढ़ाई करने छात्रों के लिए अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट का कहना है कि विदेशों में मेडिकल पढ़ने वालों को भारत में डॉक्टरी करने के लिए नीट यूजी परीक्षा पास करनी होगी।
विदेश से पढ़कर आए छात्र को भारत में मेडिकल प्रैक्टिस की इजाजत तभी मिलती है, जब इन छात्रों ने NEET की परीक्षा भी पास की हो।
दरअसल हर वर्ष हज़ारों की संख्या में भारतीय छात्र विदेश जाकर मेडिकल पाठ्यक्रमों में दाखिला लेते हैं। इन छात्रों को देश में एमबीबीएस करने वाले छात्रों के सामान ही ‘नेशनल एलिजिबिलिटी एंट्रेंस टेस्ट’ यानी नीट की परीक्षा पास करनी होती है।
सुप्रीम कोर्ट में नीट यूजी परीक्षा क्वालिफाई करने के नियम को हाल ही में चुनौती दी गई थी मगर अदालत ने मामले की सुनवाई के बाद इसे बरकरार रखा है।
मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के उस नियम को सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा है, जिसमे कहा गया है कि भारतीय छात्रों के लिए विदेशी यूनिवर्सिटी में अंडरग्रेजुएट मेडिकल कोर्स करने के लिए नीट क्वालिफाई करना ज़रूरी है।
यह नियम 2018 में पेश किया गया था। इस नियम के ज़रिए यह सुनिश्चित होता है कि विदेश में मेडिकल की पढ़ाई करने वाले भारतीय छात्र जब देश में आकर मेडिकल प्रैक्टिस करें, तो वे यहां के जरूरी मानकों पर भी पूरे उतरें। शीर्ष अदालत का कहना है कि इंडियन मेडिकल काउंसिल एक्ट, 1956 के नियम किसी भी तरह से अनुचित नहीं है। कोर्ट का कहना है कि यह नियम बाहर पढ़ने के लिए किसी भी तरह की रोक नहीं लगाता।
अदालत ने इस मामले में छूट देने से इनकार करते हुए कहा कि जाहिर सी बात है कि इस बदले हुए रेगुलेशन को लागू होने के बाद अगर कोई उम्मीदवार विदेश से मेडिकल की पढ़ाई के लिए एडमिशन लेना चाहता है तो वह रेगुलेशन से किसी भी तरह की छूट की मांग नहीं कर सकता है।