प्रयागराज के संगम क्षेत्र में भगदड़ मचने की खबर है। अफवाह के बाद बेतरतीब भीड़ में कई महिला-पुरुष जमीन पर गिर गए। ऐसे में लोग एक दूसरे को कुचलते हुए आगे बढ़ गए। इसमें 17 से ज़्यादा लोगों की मृत्यु जबकि 50 से ज्यादा के घायल होने का समाचार मिला है। इस बीच विशेष सतर्कता बरतते हुए अखाड़ा परिषद ने अमृत स्नान रद्द करने का फैसला लिया है।
महाकुंभ के दूसरे अमृत स्नान पर्व पर मौनी अमावस्या से पूर्व यह हादसा मंगल-बुध की देर रात करीब 1.30 बजे हुआ। हालात को देखते हुए सभी 13 अखाड़ों ने शाही स्नान रद्द कर दिया गया है।
इस बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर ट्वीट कर श्रद्धालुओं से अपील की है। उन्होंने अपील में कहा है कि मां गंगा के जिस घाट के जो समीप है, वहीं स्नान करें, संगम नोज की ओर जाने का प्रयास न करें। प्रशासन के निर्देशों का अनुपालन करें, व्यवस्था बनाने में सहयोग करें। किसी भी अफवाह पर ध्यान न दें।
प्रयागराज महाकुंभ मेले में भगदड़ की वजह से आज के अमृत स्नान कार्यक्रम रद्द कर दिए गए हैं। मौनी अमावस्या पर अमृत स्नान के लिए बुधवार रात से ही भक्तों का सैलाब संगम तट पर जमा हो रहा था। मुख्यमंत्रीअधिकारियों से स्थिति का लगातार जायजा ले रहे हैं।
संगम तट पर से एंबुलेंस के जरिए घायलों को अस्पताल ले जाया गया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़, मेलाधिकारी विजय किरन आनंद ने जानकारी दी है कि भीड़ का दबाव बढ़ने से भगदड़ मच गई। इसमें 17 लोगों की मौत हो गई, हालांकि मरने वालों की संख्या कहीं अधिक बताई जा रही है।
इस हादसे में 50 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हैं। सभी घायलों को महाकुंभ नगर के केंद्रीय अस्पताल में भर्ती कराया गया है। प्रशासन मुस्तैदी के साथ राहत और बचाव कार्य में जुटा हुआ है।
संत-महात्मा ने भी महाकुंभ में भगदड़ के बाद श्रद्धालुओं से संगम क्षेत्र में न आने की अपील कर रहे हैं। इन परिस्थितियों में आध्यात्मिक गुरु व कथा वाचक देवकीनंदन ठाकुर ने भी अपने बयान में अपील की है कि मौनी अमावस्या का स्नान चल रहा है। पूरी गंगा और यमुना की धारा में ‘अमृत’ बह रहा है। अगर आप कहीं भी गंगा या यमुना में स्नान करेंगे तो ‘अमृत’ आपको प्राप्त होगा। आगे उन्होंने कहा कि ये आवश्यक नहीं है कि संगम में ही आपको डुबकी लगानी है।
बताते चलें कि महाकुंभ मेले में विजय दीक्षा ले चुके लोगों का अमृत स्नान करना अनिवार्य होता है। ऐसे में श्रद्धालुओं ने अखाड़ों का शाही स्नान रद्द होने के बावजूद नियमानुसार संगम में स्नान किया। महंतों से आज्ञा लेने के बाद श्रद्धालु स्नान के लिए पहुंचे।
हादसे के बाद मेला प्रशासन पूरी कोशिश कर रहा है कि जो भी श्रद्धालु प्रयागराज पहुंच रहे हैं, वह संगम तक न आए और करीब के घाट पर स्नान करें।
श्रद्धालुओं से जल्द से जल्द मेला क्षेत्र को खाली करने के लिए कहा जा रहा है। साथ ही फाफामऊ-झूंसी-सतना घाट पर श्रद्धालुओं को वहीं पर स्नान करने की सलाह दी जा रही है। इस बीच प्रयागराज आने वाली ट्रेनों को भी विलम्ब से लाने के लिए कहा गया है, जिससे संगम क्षेत्र के दबाव को कम किया जा सके।