राष्ट्रीय पर्यटन दिवस हर साल 25 जनवरी यानी आज के दिन मनाया जाता है। सौभाग्य से हम ऐसे देश के वासी हैं जहाँ कई ऋतुएं देखने को मिलती हैं और इन कई मौसमों वाली भूमि में प्रकृति के विविध रंगों का नज़ारा किया जा सकता है।
भारत में साल 1948 में पहली बार राष्ट्रीय पर्यटन दिवस मनाया गया था। देश की आजादी के बाद सर्वप्रथम पर्यटन यातायात समिति का गठन किया गया। इसके तीन साल बाद साल 1951 में कोलकाता और चेन्नई में पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कार्यालय खोले गये। इसका प्रमुख काम भारत के प्राकृतिक सौंदर्य का प्रचार-प्रसार करना तथा देश और विदेश के पर्यटकों का ध्यानाकर्षित करना था।
वर्ल्ड ट्रैवल एंड टूरिज्म काउंसिल के मुताबिक, साल 2024 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद में पर्यटन का योगदान 6.8% रहा। यह योगदान 256.1 अरब डॉलर के बराबर था।
हमारे देश को पर्यटन के लिहाज़ से सर्वश्रेष्ठ मानने के कई कारण है। यहाँ उत्तर में बर्फ से ढकी लद्दाख की पहाड़ी चोटियां है। जन्नत की संज्ञा वाला कश्मीर है, नार्थ ईस्ट में मनोरम दृश्यों वाले इलाक़े हैं तो राजस्थान के रेगिस्तान का अलग मज़ा है और तमाम ऐतिहासिक विरासतों के साथ दक्षिण तक समुद्र के तीन किनारों वाले इस देश में ऐसा बहुत कुछ है जिसे देखने दूर-दराज़ से यात्री आते हैं।
पर्यटन के ये सभी रंग देश के विकास, अर्थव्यवस्था और सांस्कृतिक आदान-प्रदान में पर्यटन उद्योग के महत्व का एहसास कराते हैं। पर्यटन दिवस का मुख्य उद्देश्य भारत में पर्यटन के महत्व को बढ़ावा देना और पर्यटकों को भारतीय संस्कृति, धरोहर और विविधता से परिचित कराना है। आज के दिन विभिन्न प्रकार के आयोजन और कार्यक्रम किये जाते हैं, जिससे देश के पर्यटन उद्योग को बढ़ावा मिले।
पर्यटन भारतीय अर्थव्यवस्था का एक बेहद महत्वपूर्ण स्रोत है। आज का दिन पर्यटन के साथ इस उद्योग से जुड़े विभिन्न क्षेत्रों, होटल, परिवहन, गाइड, और हस्तशिल्प, को लाभ दिलाता है।
इस दिन को मानाने के मक़सद, पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। इसके तहत सतत पर्यटन की आवश्यकता पर जोर दिया जाता है, जिससे प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा हो, साथ ही नई पीढ़ियों के लिए इसे संरक्षित करने में मदद मिल सके।
आंकड़े बताते हैं कि साल 2019 में लगभग एक करोड़ 80 लाख अंतर्राष्ट्रीय पर्यटक और अप्रवासी भारतीय भारत आये। इससे पूर्व 2018 में करीब एक करोड़ 70 लाख विदेशी पर्यटक भारत आये।
एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक़, भारत में यात्रा और पर्यटन उद्योग ने 2018 में देश के सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 247 बिलियन डॉलर का योगदान दिया।
भारत में 38 विश्व स्तरीय धरोहर स्थल हैं, जिनमें 30 सांस्कृतिक संपत्तियां, सात प्राकृतिक संपत्तियां और एक मिश्रित स्थल सिक्किम का खंगचेंदजोंगा राष्ट्रीय उद्यान है।
विविधताओं वाले इस देश में एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी भी है जो बंगाल की खाड़ी के अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में स्थित है। अंडमान और निकोबार द्वीप समूह को सेंटिनली दुनिया की सबसे अलग-थलग जनजाति के लिए भी जाना जाता है। यह जनजाति बाहरी लोगों से संपर्क रखना पसंद नहीं करती, और अगर कोई उनके पास जाने की कोशिश करता है, ये उस पर हमला कर देते हैं।
क्योंकि भारत अनेकता में एकता दर्शाने वाला देश रहा है। ऐसे में भिन्न भाषाएं, जातियां, धर्म, और परंपरा को एक सूत्र में पिरोने का काम भी पर्यटन द्वारा ही संभव है।