ग़ाज़ा को मिलने वाली खाद्य सहायता पर संयुक्त राष्ट्र की मानवीय सहायता एजेंसियों द्वारा साझा जानकारी अफसोसनाक होने के साथ ददर्नाक भी है। एजेंसी के मुताबिक़ इज़रायली सेनाओं द्वारा गत अक्तूबर में ग़ाज़ा के उत्तरी इलाक़े में ज़मीनी हमला शुरू किए जाने के बाद से विश्व खाद्य कार्यक्रम द्वारा खाद्य सामग्री और जल आपूर्ति का केवल तीन प्रतिशत हिस्सा ही, उत्तर ग़ाज़ा में प्रवेश करने की अनुमति दी गई है।
यूएन खाद्य सहायता एजेंसी का कहना है कि दिसम्बर के अन्त में संयुक्त राष्ट्र का नौ ट्रकों का संयुक्त क़ाफ़िला उत्तरी ग़ाज़ा के बेत हनून इलाक़े में लोगों तक पहुँच सका है। इस इलाक़े के लोग पिछले 75 दिनों से सहायता से वंचित थे।
यूएन की रिपोर्ट से पता चला है कि विश्व खाद्य कार्यक्रम की ओर से अक्तूबर में इज़रायली हमला शुरू होने के बाद से ग़ाज़ा के उत्तरी गवर्नरेट के क्षेत्रों में भोजन पहुँचाने के लिए, इज़रायली अधिकारियों को 101 अनुरोध भेजे हैं। इनमे से केवल तीन अनुरोधों को मंज़ूरी मिली है, जिसमें 20 दिसम्बर का क़ाफ़िला भी शामिल है।
क़ानून और व्यवस्था के बिखरने और सशस्त्र गिरोहों द्वारा संयुक्त राष्ट्र की मानवीय सहायता सामग्री की लूटपाट अतिरिक्त चिन्ता को जन्म दे रही है। इस बीच उत्तरी ग़ाज़ा में इज़रायली सेना के हमले जारी हैं। इज़रायली घेराबन्दी के चलते खाद्य सहायता की आपूर्ति को गम्भीर रूप से सीमित करने के साथ-साथ, 15 हज़ार लोगों को भोजन, पानी, बिजली व स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच से वंचित कर दिया है।
सोमवार को संयुक्त राष्ट्र आपदा राहत समन्वयक टॉम फ़्लैचर ने पिछले सप्ताह कई मध्य पूर्वी देशों में संयुक्त राष्ट्र के कर्मचारियों, भागीदारों और समुदायों के साथ मुलाक़ातें की हैं।उन्हने आगाह किया है कि उत्तरी क्षेत्र की लगभग पूरी तरह से इज़रायली घेराबन्दी के कारण अकाल का ख़तरा बढ़ रहा है। उन्होंने ग़ाज़ा को मानवीय सहायता पहुँचाने के लिए दुनिया का सबसे ख़तरनाक स्थान बताया।
ग़ौरतलब है कि पिछले एक वर्ष के दौरान, ग़ाज़ा ऐसा स्थान रहा है जहाँ, रिकॉर्ड पर किसी भी वर्ष की तुलना में सबसे अधिक मानवतावादी मारे गए हैं। दक्षिणी ग़ाज़ा में सर्दियाँ शुरू होने के बीच हालात और बदतर होने लगे हैं।
इस सबके बीच ग़ाज़ा पट्टी में बड़े पैमाने पर लोगों के मारे जाने और घायल होने की घटनाएँ जारी हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बीती रात को भी इज़रायल के हवाई हमलों में कम से कम 20 लोग मारे गए, जिनमें अल-मवासी में किए गए हमले भी शामिल हैं। इस इलाक़े को मानवीय क्षेत्र घोषित किया गया है। इसके अलावा मध्य ग़ाज़ा में अल-नुसीरात शरणार्थी शिविर पर भी इज़रायली हमले किए जाने की सूचना मिली हैं।