वैश्विक स्तर पर एक बार फिर से मानव तस्करी के मामलों में बढ़ोत्तरी देखी गई है। हालांकि कोविड-19 के दौरान इसमें कमी आने की बात कही गई थी।
ड्रग्स एवं अपराध नियंत्रण पर यूएन कार्यालय (UNODC) की ताज़ा रिपोर्ट से पता चला है कि वैश्विक स्तर पर मानव तस्करी में कोविड-19 के दौरान कमी आने के बावजूद, एक बार फिर से मानव तस्करी के मामलों में वृद्धि देखी गई है।
मानव तस्करी पर यह रिपोर्ट 156 देशों से प्राप्त जानकारी के आधार पर तैयार की गई है। मानव तस्करी पर 2024 की वैश्विक रिपोर्ट बताती है कि साल 2022 और 2019 के बीच इन मामलों में 25 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।
रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि 2019 और 2022 के बीच दुनिया भर में जबरन श्रम के लिए मानव तस्करी पीड़ितों की संख्या में 47 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 2019 की तुलना में 2022 में बाल पीड़ितों की संख्या 31 प्रतिशत बढ़ी, वहीं लड़कियों के मामले में 38 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।
रिपोर्ट में इसकी सबसे बड़ी वजह ग़रीबी, युद्ध व टकराव के साथ जलवायु संकट के कारण उत्पन्न हालात को ज़िम्मेदार ठहराया गया हैं। इस तरह के हालत बाल शोषण सहित जबरन श्रम के मामलों में बढ़ोत्तरी के कारण बनते हैं।
यूएनओडीसी की कार्यकारी निदेशक ग़ादा वॉली का कहना है कि अपराधी तत्व लोगों को जबरन मज़दूरी में धकेलने के लिए मानव तस्करी का रास्ता अपना रहे हैं। इसमें लोगों को ऑनलाइन घोटालों व साइबर धोखाधड़ी जैसे अपराधों के लिए मजबूर करना भी शामिल है। वहीं महिलाएँ और लड़कियाँ, यौन शोषण व लिंग आधारित हिंसा के जोखिम झेल रही हैं।”
उन्होंने कहा, “हमें आपराधिक श्रृँखला में सबसे ऊपर मौजूद लोगों की जवाबदेही तय करने के लिए, अपराध के ख़िलाफ़ न्यायिक प्रतिक्रिया बढ़ानी होगी।
आगे उन्होंने पीड़ितों को बचाने के लिए सीमाओं के दोनों तरफ़ कार्रवाई करने की बात भी कही है। साथ ही यह सुनिश्चित करने पर भी ज़ोर दिया है कि इन शिकंजों से बचे हुए लोगों को उचित मदद व समर्थन मुहैया हो।
रिपोर्ट बताती है कि जिन क्षेत्रों में बच्चे अकेले रह गए हैं या अपने परिवार से अलग हो गए हैं, वहाँ पीड़ित लड़कों की संख्या अधिक पाई गई। इसके अलावा उच्च आय वाले देशों में भी बाल तस्करी में वृद्धि देखने को मिली है। इनमें यौन शोषण के लिए लड़कियों की तस्करी के मामले अधिक सामने आए।
अध्ययन से यह भी स्पष्ट हुआ कि दुनिया भर में पहचाने गए पीड़ितों में से अधिकाँश, यानि 61 प्रतिशत महिलाएँ व लड़कियाँ हैं। इनमें से 60 प्रतिशत लड़कियों की यौन शोषण के लिए तस्करी की जाती है।
वहीँ लड़कों में लगभग 45 प्रतिशत की तस्करी, उनसे जबरन मज़दूरी करवाने के लिए की जाती है। इसके अलावा, अन्य लड़कों यानि 47 प्रतिशत का शोषण, जबरन आपराधिक गतिविधियों में धकेलने या भीख माँगने जैसे कामों के लिए किया जाता है।