लखनऊ के प्राइवेट अस्पतालों के लाइसेंस संबंधी नियमों में राहत दी गई है। बदले नियम के तहत अब शहर के करीब 750 निजी अस्पतालों को पांच वर्ष के लिए लाइसेंस मिलेगा। डीएम के माध्यम से पांच साल का लाइसेंस जारी होगा।
यह व्यवस्था नए वित्तीय वर्ष से लागू होने का अनुमान है। अभी तक पहले हर वर्ष लाइसेंस रिन्यू कराना होता था मगर अब इस प्रक्रिया से छुटकारा मिल सकेगा। यह व्यवस्था नए नियम के तहत लागू की जाएगी। इसके अलावा महत्वपूर्ण बात यह भी है कि इन निजी अस्पतालों में बेड की क्षमता के अनुसार फीस भी तय कर दी गई है।
गौरतलब है कि नए एक्ट में मानक पूरे न होने की दशा में अस्पताल का लाइसेंस जारी नहीं होगा। जबकि क्लीनिकल स्टेब्लिशमेंट एक्ट लागू होने के बाद निजी अस्पतालों को मिलने वाले लाइसेंस की समय सीमा पांच वर्ष कर दी गई है।
निजी अस्पतालों के सालाना रिनिवल में बदलाव के बाद अब लखनऊ के निजी अस्पतालों को 5 साल के लिए लाइसेंस मिलेगा। मानक पूरे न होने पर अस्पताल का लाइसेंस जारी नहीं होगा। ये व्यवस्था नए वित्तीय वर्ष से लागू होने की उम्मीद है।
बताते चलें कि इस समय राजधानी में तक़रीबन 950 प्राइवेट अस्पताल चल रहे हैं और इन सभी अस्पतालों का अप्रैल माह में रिनिवल कराया जाता है। हालांकि अभी तक इस एक्ट से सम्बंधित जानकारी को पोर्टल पर अपडेट नहीं किया गया है। जबकि सीएमओ व डीएम को इस मामले में कड़े अनुपालन के निर्देश दिए गए हैं।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर एन बी सिंह के मुताबिक, अब नए एक्ट के तहत निजी अस्पतालों को लाकर उन्हें पांच साल का लाइसेंस जारी किया जाएगा और जल्द ही सभी अस्पताल एक्ट के दायरे में आ जाएंगे।
जानकारी के मुताबिक़ कई निजी अस्पतालों द्वारा मरीज़ों को गुमराह और परेशान करने के मामले सामने आने के बाद यह फैसला लिया गया है।
अब निजी अस्पतालों को इस एक्ट के तहत रजिस्ट्रेशन नंबर, संचालक का नाम, बेड की संख्या, औषधि की पद्वति, इलाज की सुविधाएं, डॉक्टर व स्टाफ का नाम बाहर लगे डिस्प्ले बोर्ड पर पर दिखानी होंगी।