एक अध्ययन के तहत यह जांच की गई कि जैव विविधता सुरक्षा के लिए नीतियां किसे लक्षित करती हैं और इसके लिए किस तरह के व्यवहार की अपेक्षा की जाती है साथ ही इसके लिए कौन जिम्मेदार है और कौन से तरीके इस्तेमाल किए जाते हैं।
यूनिवर्सिटी ऑफ सरे, यूके के शोधकर्ताओं की टीम ने एक अध्ययन किया है। इस अध्ययन में दस एनबीएसएपीएस यानी राष्ट्रीय जैव विविधता रणनीतियों और कार्य योजनाओं से 1306 नीति क्रियाओं का विश्लेषण किया गया।
शोधकर्ताओं का मानना है कि देश अपने संरक्षण लक्ष्यों को विधिवत रूप से प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं। पर्यावरण विज्ञान और नीति पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ है।
अध्ययन में 10 एनबीएसएपीएस यानि राष्ट्रीय जैव विविधता रणनीतियों और कार्य योजनाओं से 1306 नीति क्रियाओं का विश्लेषण किया गया।
यूनिवर्सिटी ऑफ सरे की मेलिसा मार्सेल और अध्ययन की सह-लेखक का मानना है कि हम खान-पान और आवास सहित अपनी आवश्यकता से जुड़े संसाधनों के प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करते हैं, लेकिन इससे जैव विविधता को होने वाले नुकसान के बारे में नहीं सोचते।
इस संबंध में जैव विविधता की सुरक्षा के लिए बनाई गई तकरीबन 90 फीसदी राष्ट्रीय नीतियां से यह स्पष्ट नहीं होता है कि पर्यावरण व जीव-जंतुओं के संरक्षण के लिए किसानों, उपभोक्ताओं, मछुआरों व इससे संबंधित अन्य पेशेवरों के व्यवहार में क्या बदलाव होने चाहिए।
अध्ययन में शोधकर्ताओं की टीम ने पाया कि केवल 11 फीसदी नीतियों में लोगों के व्यवहार में बदलाव की अहमियत का जिक्र था जिससे जैव विविधता संरक्षण में मदद मिल सके।
अध्ययन के दौरान यह जांचा गया कि नीतियां, जैव विविधता सुरक्षा के लिए लक्ष्य, व्यवहार, कौन जिम्मेदार है और कौन से तरीके प्रयोग में लाए जाते हैं।
शोधकर्ताओं के मुताबिक़, जैव विविधता नीतियों को अधिक प्रभावी बनाने के लिए आवश्यक है कि यह साफ और खुले तौर पर बताया जाए कि कौन से व्यवहार में बदलाव की आवश्यकता है, कौन से समूह इसके लिए जिम्मेदार हैं।
इस संबंध में मार्सेल का कहना है कि नीतियों को बेहतर बनाने के लिए व्यवहार विज्ञान के सिद्धांतों का प्रयोग करना महत्वपूर्ण हैं। इसमें यह साफ बताना होगा कि किन व्यवहारों को बदलना है और किस समूह को लक्षित करना है।
आगे वह कहती हैं कि नीतियों को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए अधिक लोगों या संगठनों को शामिल करने के साथ कई तरीकों और उपायों जैसे वातावरण में बदलाव करना, नियमों या दबाव का इस्तेमाल आदि भी शामिल होना चाहिए।