देश में जाति जनगणना की मांग एक बार फिर से ज़ोर पकड़ती नज़र आ रही है। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के अलावा अन्य पार्टियां भी इस मुद्दे पर लगातार भाजपा से सवाल कर रही है। एक बार फिर से तेलुगु देशम पार्टी के नेता और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने जाति जनगणना की खुलकर वकालत की है।
इस बार लोकसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में भी इस मुद्दे को शामिल किया था। विपक्षी दल भी खुल कर सत्तादल पर यह आरोप लगा रहे हैं है कि मोदी सरकार और भाजपा जाति जनगणना नहीं कराना चाहती है।
टीडीपी नेता चंद्रबाबू नायडू ने द इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में कहा कि ‘जाति जनगणना जरूर होनी चाहिए, इसे लेकर समाज में एक सेंटीमेंट है और इसमें कुछ भी गलत नहीं है।’
चांदबाबू नायडू ने जाति जनगणना को आर्थिक विश्लेषण से जोड़ते हुए स्किल सेंसस यानी कौशल गणना की बात भी कही है।
उन्होंने कहा कि जाति जनगणना की मांग की भावना का सम्मान करना होगा। आगे उन्होंने कहा कि ‘गरीबी सबसे बड़ा मुद्दा है, भले ही आप कमजोर वर्ग से ताल्लुक रखते हों लेकिन अगर आपके पास पैसा है तो समाज आपकी इज्जत करेगा। अगर आप ऊंची जाति से हैं और आपके पास पैसा नहीं है तो कोई भी आपकी इज्जत नहीं करेगा।’
इस मामले में कांग्रेस ने अपने तर्क में कहा है कि जाति जनगणना द्वारा ही इस बात का अनुमान लगाया जा सकता है कि देश-समाज के संसाधनों और सरकारी नौकरियों पर किस जाति समूह का कितना अधिकार है। आगे उन्होंने कहा कि इससे पिछड़े और वंचित वर्गों के लिए नीतियां बनाने में मदद मिलेगी।
चंद्रबाबू नायडू ने कहा कि ऐसा करना इसलिए जरूरी होता है ताकि नीतियों और अन्य चीजों को ऐसे बनाया जाए जिससे आर्थिक असमानताएं कम की जा सकें।
गौरतलब है कि चंद्रबाबू नायडू की पार्टी टीडीपी ने इस साल लोकसभा के साथ ही हुए विधानसभा चुनाव में आंध्र प्रदेश में शानदार कामयाबी हासिल की है। 175 सीटों वाली विधानसभा में इस उनके गठबंधन ने 164 सीटें हासिल कीं, जिसमे टीडीपी को 135, जनसेना पार्टी को 21 और बीजेपी को 8 सीटों पर जीत मिली थी।
लोकसभा चुनाव में बीजेपी को सरकार बनाने के लिए टीडीपी, जेडीयू सहित अन्य दलों के समर्थन की जरूरत पड़ी थी। अब ये दल जाति जनगणना के समर्थन में खुलकर सामने आ चुके हैं।