प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत केंद्र सरकार ने मुफ्त चावल की सप्लाई जारी रखने सहित तीन बड़े फैसले लिए हैं। इसमें सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास के अलावा गुजरात के लोथल में राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर विकसित किया जाएगा।
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कैबिनेट की बैठक के बाद इन फैसलों की जानकारी दी। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि गरीबों को मुफ्त फोर्टिफाइड चावल की आपूर्ति से एनीमिया तथा सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी कम होगी। इस योजना से लगभग 80 करोड़ नागरिकों को लाभ पहुंच रहा है।
जानकारी में बताया गया कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना पर कुल 17,082 करोड़ रुपये व्यय होंगे और पूरा वित्त पोषण केंद्र सरकार द्वारा किया जाएगा।
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी ने सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास पर जोर दिया है। इसके तहत आज कैबिनेट ने राजस्थान और पंजाब के सीमावर्ती क्षेत्रों में 4,406 करोड़ रुपये के निवेश से 2,280 किलोमीटर सड़क निर्माण को भी मंजूरी दी है।
इस पहल के माध्यम से यात्रा में सुधार और राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क के साथ ग्रामीण आजीविका को बढ़ावा देना है। सीमावर्ती क्षेत्रों में बेहतर सड़कों के निर्माण के साथ, दूरसंचार संपर्क, जल आपूर्ति, स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा सुविधाओं के साथ जीवंत गांवों में बदलने के व्यापक प्रयास का हिस्सा है।
इसके अलावा गुजरात के लोथल में राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर (एनएमएचसी) के विकसित किए जाने की मंजूरी मंत्रिमंडल ने दे दी है। इसका मक़सद समृद्ध और विविध समुद्री विरासत के प्रदर्शन के साथ दुनिया का सबसे बड़ा समुद्री विरासत परिसर बनाना भी है।
जानकारी के मुताबिक़, एनएमएचसी का विकास दो चरणों में पूरा किया जाएगा। पहले यानी 1A चरण का विकास 1,238.05 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से किया जाएगा, जिसमें प्रमुख बंदरगाहों, रक्षा मंत्रालय (भारतीय नौसेना) और संस्कृति मंत्रालय का योगदान होगा।
चरण 1B और चरण 2 के लिए भी कैबिनेट की सैद्धांतिक मंजूरी मिल गई है, जिसके लिए स्वैच्छिक संसाधनों से धन जुटाया जाएगा।
बताते चलें कि चरण 1B में 266.11 करोड़ रुपये की लागत से लाइट हाउस म्यूजियम का निर्माण शामिल है, जिसके लिए फंडिंग लाइटहाउस और लाइटशिप महानिदेशालय द्वारा की जाएगी।
इस परियोजना से 15,000 प्रत्यक्ष जबकि 7,000 अप्रत्यक्ष रोजगार सृजन की उम्मीद है और इससे स्थानीय लोगों, पर्यटकों, शोधकर्ताओं, सरकारी निकायों, शैक्षणिक संस्थानों, सांस्कृतिक संगठनों, पर्यावरण समूहों और व्यवसायों को भी फायदा मिलेगा।