सुप्रीम कोर्ट में वोट प्रतिशत के अंतर को लेकर दाखिल याचिका पर अदालत का कहना है कि चुनाव के बीच में दखल नहीं हो सकता है। कोर्ट अब इस मामले की सुनवाई गर्मी की छुट्टी के बाद किये जाने की बात कह रहा है।
सुप्रीम कोर्ट में लोकसभा चुनाव 2024 के बीच बूथ वाइज मतदाता का डेटा सार्वजनिक करने के मामले पर सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को प्रति बूथ मतदान से जुड़ी जानकारी देने से इनकार कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि चुनाव के बीच में दखल नहीं दिया जा सकता। मामले की सुनवाई गर्मी की छुट्टी के बाद के लिए टाल दी गई है।
चुनाव आयोग पर छठे चरण की वोटिंग का दबाव और अतिरिक्त मैन पॉवर का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में एडीआर की अर्जी पर सुनवाई गर्मी की छुट्टी के बाद के लिए तय कर दी है।
जस्टिस दीपांकर दत्ता की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि इस तरह की बातों को अमल में लाने के लिए मैनपावर चाहिए। हम ग्राउंड की स्थिति को लेकर बेहद सजग हैं। उन्होंने छुट्टियों के बाद इस मामले को सुनने की बात कही।
शुक्रवार को सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग के सीनियर एडवोकेट मनिंदर सिंह ने अपनी दलील में कहा कि 19 मई की अर्जी एक क्लासिक केस है, कि कैसे कानून का दुरुपयोग किया जाए। जस्टिस दत्ता का कहना है कि शनिवार को छठा फेज का चुनाव संपन्न हो जाएगा। ग्राउंड की स्थिति को लेकर बेहद सजग रवैया अपनाते हुए कोर्ट ने मामले को गर्मी की छुट्टियों के बाद सुनने की बात कही।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा ईवीएम और वीवीपीएटी के मिलान की अर्जी 26 अप्रैल को खारिज की जा चुकी है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 26 अप्रैल को जो फैसला दिया था उसमें धारा-49 एस और फॉर्म 17 सी को डील कर चुका है। सिर्फ संदेह के आधार पर और अंदेशे के आधार पर यह नहीं बताया जा सकता है कि सिस्टम में गलती हो रही है। याचिका में 5-6 प्रतिशत वोटों के अंतर की बात कही गई थी।