इज़रायली जेल में 38 साल से कैद फिलिस्तीनी बुद्धिजीवी और लेखक वलीद दक़्क़ा की मौत की खबर सामने आई है।
तेल अवीव की एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इज़रायली अधिकारियों ने फिलिस्तीनी बुद्धिजीवी वलीद दक़्क़ा का शव उनके परिवार को सौंपने से इनकार कर दिया है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, वालिद दक़्क़ा का परिवार इज़रायल के शहर हाइफा में रहता है। इज़रायली पुलिस ने हाइफ़ा में वलिद दक़्क़ा के शोक शिविर पर भी छापा मारा और वलिद दक़्क़ा की मौत पर शोक मनाने वाले लोगों को भी गिरफ्तार कर लिया गया।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वलीद दक़्क़ा को जेल में चिकित्सा सुविधाएं मुहैया नहीं कराई गईं और कैंसर से पीड़ित होने के बावजूद उन्हें इलाज से वंचित रखा गया।
फिलिस्तीनियों ने कब्जे वाले वेस्ट बैंक के रामल्ला में मृतक फिलिस्तीनी लेखक वलिद दक़्क़ा की तस्वीरें लेकर अपना विरोध जताया। इन लोगों का कहना था कि चिकित्सा लापरवाही के कारण उनकी इज़रायली जेल में मृत्यु हो गई।
Palestinians in Ramallah, occupied West Bank, hold photos of cancer-stricken Palestinian inmate Walid Daqqa, who died in an Israeli jail due to medical negligence. pic.twitter.com/EVYL0BmEJn
— Palestine Highlights (@PalHighlight) April 8, 2024
मीडिया रिपोर्ट्स से ये खुलासा भी हुआ है कि फिलिस्तीनी बुद्धिजीवी वलीद दक़्क़ा को 1986 में एक इजरायली सैनिक की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
कारावास के दौरान ही दक़्क़ा को मायलोफाइब्रोसिस का पता चला जो कि अस्थि मज्जा कैंसर का एक दुर्लभ रूप है और शरीर में रक्त कोशिकाओं के सामान्य उत्पादन को बाधित करता है। कुछ संगठनों ने इस बीमारी के चलते इज़राइल से उनकी चिकित्सा आधार पर रिहाई की मांग की और दबाव डालना शुरू किया।
पिछले साल फिलीस्तीनी कैदियों का समर्थन करने वाले एक संगठन, एडामीर के अनुसार दक़्क़ा को तत्काल चिकित्सा और देखभाल की सख्त जरूरत थी। संस्था ने उनके निर्धारित उपचार को लेकर इजरायली अधिकारियों पर लापरवाही का आरोप भी लगाया और उसकी तत्काल रिहाई की मांग भी की थी।
इसके बवजूद इजराइल ने उन्हें जल्दी जेल से रिहा करने से इनकार कर दिया और उनकी रिहाई की तारीख 2025 तय कर दी थी।
अपने कारावास काल में उन्होंने लेखन का काम जारी रखा। उन्होंने इज़रायली जेल में कई किताबें भी लिखीं। वलीद दक़्क़ा ने बच्चों के लिए कहानियाँ भी लिखीं हैं।