नई दिल्ली। कश्मीर में जारी हालात पर चर्चा के लिए केंद्र सरकार ने दिल्ली में एक बैठक बुलाई है। जिसके बाद रविवार को गृहमंत्री राजनाथ सिंह के नेतृत्व में 28 सदस्यों का एक सर्वदलीय प्रतिनिधि मंडल दो-दिनों के दौरे पर कश्मीर जा रहा है जहां वो लोगों से भेंट करेगा। इस दल को कश्मीर भेजने का फ़ैसला 12 अगस्त को इसी मसले पर सभी राजनीतिक दलों की बैठक के दौरान लिया गया था। बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल थे। एक टेलीविज़न चैनल को दिए इंटरव्यू में प्रधानमंत्री ने कहा, “कश्मीर समस्या के बीज आज़ादी के दौरान बोए गए थे।” उन्होंने कहा कि कश्मीर समस्या का हल ‘विकास’ और ‘लोगों का विश्वास’ जीतने से होगा। उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि कश्मीर के युवा ‘गुमराह नहीं होंगे’ और कश्मीर सही मायनों में ‘जन्नत बन सकेगा’।
प्रतिनिधि मंडल में शामिल जनता दल (यूनाइटेड) के शरद यादव ने कहा, “हमारी कोशिश होगी कि आम राय बन जाए। हम लोग हुर्रियत समेत, हर किसी से बातचीत करने कि लिए तैयार हैं।”
एनसीपी नेता तारिक अनवर ने कहा, “बहुत ज़्यादा उम्मीद नहीं कर रहे हैं। वहां का माहौल बद से बदतर हो चुका है। एक प्रतिनिधि मंडल के जाने से वहां तुरंत हालात बदल जाएंगे ऐसा नहीं है। बातचीत का लाभ हमें मिल सकेगा। कम से कम अंतरराष्ट्रीय मंच पर यह कर सकेंगे कि हमने वहां शांति व्यवस्था बनाने के लिए सभी कोशिश की।”
गौरतलब है कि सर्वदलीय प्रतिनिधि मंडल वर्ष2010 में भी कश्मीर गया था। लेकिन पिछली बार ऐसे हालात नहीं थे। 60 हफ्तों तक लगातार कर्फ्यू, हड़ताल और बंद नहीं था, न ही इतने लोग घायल थे जितने इस बार हैं। प्रतिनिधि मंडल के हवाले से शुक्रवार को कांग्रेस के डॉक्टर कर्ण सिंह कश्मीर पहुंचे। हालांकि उन्होंने कोई औपचारिक घोषणा नहीं की।
दूसरी ओर खबरों के मुताबिक़ कश्मीर में अलगाववादी संगठन, व्यापार मंडल, सरकारी कर्मचारियों संगठनों ने पहले ही कहा है कि कोई भी प्रतिनिधि मंडल हो बातचीत तब तक नहीं होगी जब तक उसका एजेंडा साफ़ न हो। इन संगठनों का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी ने बयान दिया था कि कश्मीर की समस्या के राजनीतिक हल और स्थाई हल ढूंढ़ने होगे, लेकिन इसके बाद उस तरह से कोई पहल होती नहीं दिखती।