रूस और यूक्रेन युद्ध पर आज इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस यानी आईसीजे में सुनवाई होने जा रही है। यूक्रेन का कहना है कि रूस इस हमले को न्यायोचित बताते हुए अंतर्राष्ट्रीय कानून का मखौल उड़ा रहा है। मामले की सुनवाई हेग में हो रही है।
पिछले वर्ष 24 फरवरी को रूस ने यूक्रेन पर हमला कर दिया था। जिसके कुछ दिनों बाद ही यूक्रेन ने रूस के खिलाफ़ इंटरनेशनल कोर्ट में अर्जी दी। करीब डेढ़ साल बाद रूस और यूक्रेन आज 18 सितंबर को यूएन की इंटरनेशनल कोर्ट के सम्मुख आमने-सामने होंगे।
24 फरवरी 2022 को किये गए रूसी हमले के कुछ ही दिनों बाद यूक्रेन इस मामले को संयुक्त राष्ट्र की सर्वोच्च अदालत में लाया था। कीव ने तर्क देते हुए रूस पर अंतरराष्ट्रीय कानून के दुरुपयोग का इलज़ाम लगाया था।
बीते वर्ष मार्च में होने वाली सुनवाई में अदालत ने यूक्रेन के पक्ष में फैसला सुनाया था। साथ ही अदालत ने रूस को यूक्रेन में सैन्य कार्रवाई तुरंत बंद करने का आदेश दिया था।
इस संबंध में रूसी अधिकारी यूक्रेन पर नरसंहार करने का आरोप लगाते रहे हैं और उनका कहना है कि पूर्वी यूक्रेन में कथित नरसंहार को रोकने के लिए ये आक्रमण उचित क़दम था।
आज 18 सितंबर से शुरू हो रही यह सुनाई 27 सितंबर तक चलेगी। सुनवाई के दौरान कोर्ट के अधिकार क्षेत्र के संबंध में कानूनी तर्कों पर विचार किया जाएगा।
सोमवार को रूस और यूक्रेन यूएन की इंटरनेशनल कोर्ट के समक्ष एक मामले में आमने-सामने होंगे. बता दें कि यूक्रेन ने रूस के खिलाफ इंटरनेशनल कोर्ट में अर्जी दी है.#RussiaUkraine #WorldNews #InternationalCourthttps://t.co/8X3jJ9VXfT
— ABP News (@ABPNews) September 17, 2023
दूसरी तरफ अंतर्राष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, रूस चाहता है कि मामले को खारिज कर दिया जाए और इंटरनेशनल कोर्ट के अधिकार क्षेत्र पर आपत्ति जताई जाए।
आईसीजे के फैसलों पर निगाह रखने वाली जूलियट मैकइंटायर का कहना है कि अदालत के लिए यह काफी सकारात्मक लग रहा है कि उसका अधिकार क्षेत्र है।
इस मामले में बीते साल मार्च में सुनवाई हुई थी। यूक्रेन ने पिछली सुनवाई में कोर्ट के समक्ष बयान दिया था कि हम इस इमारत में हैं, जिसे शांति का महल कहा जाता है, जबकि हमारे देश पर हमले हो रहे हैं। बयान में उन्होंने रूसी सैन्य कार्रवाई को तुरंत रोकने की बात कही थी और बताया था कि बम और मिसाइलों से आक्रामण के चलते लाखों लोग खतरे में हैं।
इसके जवाब में मॉस्को का कहना है कि यूक्रेन अपनी सैन्य कार्रवाई करने के साथ-साथ रूस पर दोष मढ़कर केस को भ्रमित करना चाहता है।
बीते वर्ष मार्च में होने वाली सुनवाई में अदालत ने यूक्रेन के पक्ष में फैसला सुनाया था। साथ ही अदालत ने रूस को यूक्रेन में सैन्य कार्रवाई तुरंत बंद करने का आदेश दिया था। इसके बावजूद रूस ने कोर्ट के फैसले को दरकिनार करते हुए यूक्रेन पर सैन्य कार्रवाई जारी रखी थी।
अंतर्राष्ट्रीय मीडिया के हवाले से मिली ख़बरों के मुताबिक़ सुनवाई में अदालत 32 अन्य राज्यों की दलीलें भी सुनेगी, जो यूक्रेन के इस तर्क का समर्थन करते हैं कि अदालत के पास मामले को आगे बढ़ाने का अधिकार क्षेत्र है।