लंदन: हबल स्पेस टेलीस्कोप से छवियों और डेटा की समीक्षा करने के बाद, अंतरराष्ट्रीय खगोलविदों ने पहली बार ब्रह्मांड में एक बुलबुले जैसी संरचना की खोज की है जो आकाशगंगाओं पर आधारित है। एक अनुमान मुताबिक़ इसकी दूरी का अंदाज़ा लगभग एक अरब प्रकाश वर्ष लगाया गया है।
एस्ट्रोफिजिकल जर्नल में प्रकाशित इस शोध के अनुसार, प्रारंभिक ब्रह्मांड में गर्म प्लाज्मा ‘बैरियन एकॉस्टिक ऑसिलेशन’ (बीएओ) नामक गुरुत्वाकर्षण और विकिरण प्रक्रियाओं के कारण ध्वनि तरंगें उत्सर्जित करता है।
इस बुलबुले की खोज उस घटना की पुष्टि करती है जिसका वर्णन 1970 में पहली बार अमेरिकी ब्रह्मांड विज्ञानी जिम पीबल्स ने किया था। उन्होंने सुझाव दिया था कि आदिम ब्रह्मांड में, जो उस समय गर्म प्लाज्मा का एक मिश्रण था, गुरुत्वाकर्षण और विकिरण ने ध्वनि तरंगों का निर्माण किया। इन्हें बैरियन ध्वनिक दोलन (baryon acoustic oscillations) कहा जाता है।
Astronomers have discovered an immense bubble of galaxies that could be a fossilized remnant leftover from the Big Bang. https://t.co/erd7VqnPPW pic.twitter.com/2DFAeZ1fpP
— SPACE.com (@SPACEdotcom) September 11, 2023
यह बुलबुला हमारी अपनी आकाशगंगा से 10,000 गुना बड़ा है और उसी आकाशगंगा से 82 करोड़ प्रकाश वर्ष दूर स्थित है। माना जाता है कि यह विशाल बुलबुला बिग बैंग के तुरंत बाद बना था और इस प्रकार यह प्राचीन ब्रह्मांड को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। इसी कारण विशेषज्ञों ने इसे ब्रह्मांडीय चक्र भी कहा है।
इस आश्चर्यजनक ब्रह्मांडीय घटना से एक ओर जहां वैज्ञानिक खुद हैरान हैं, वहीं दूसरी ओर इसके अध्ययन से कई दिलचस्प खुलासे होते हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ क्वींसलैंड स्कूल ऑफ मैथमेटिक्स एंड फिजिक्स के डॉ. कैवलिन हॉविट भी इस शोध का हिस्सा रहे हैं। उनका कहना है कि इस ब्रह्मांडीय चक्र को देखकर हम खुद भी आश्चर्य में हैं क्योंकि यह हमारे बहुत करीब है।
डॉ कैवलिन के अनुसार, इसका उपयोग ब्रह्मांडीय विस्तार की गति निर्धारित करने के लिए किया जा सकता है और यह हमें बताता है कि हमारा ब्रह्मांड कितना बड़ा हो सकता है। उनके अनुसार, इस खोज के आलोक में ब्रह्मांडीय इतिहास को फिर से लिखने की आवश्यकता हो सकती है।
यह शोध इस सप्ताह के एस्ट्रोफिजिकल जर्नल में प्रकाशित हुआ है। शोध के अनुसार, प्रारंभिक ब्रह्मांड में गर्म प्लाज्मा ‘बैरियन एकॉस्टिक ऑसिलेशन’ (बीएओ) नामक गुरुत्वाकर्षण और विकिरण प्रक्रियाओं के कारण ध्वनि तरंगें उत्सर्जित करता था। गौरतलब है कि विशेषज्ञों ने पहली बार 2005 में बीएओ के संकेतों पर ध्यान दिया।