भारतीय समय के मुताबिक़ आज शाम सात बजे चंद्रयान-3 चांद की कक्षा में प्रवेश करेगा। लॉन्च किये जाने के बाद से यान की कक्षा में पांच बार बदलाव किया गया है।
इससे पहले अमेरिका रूस व चीन चांद की सतह पर अपने लैंडर उतारने वाले देशों में अपना नाम दर्ज करा चुके हैं। भारत का चंद्रयान-2 मिशन 2019 में में सफल नहीं हो सका था मगर इस बार लैंडिंग सफल होने पर भारत ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाएगा।
इसरो यानी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन से मिली जानकारी के मुताबिक़ चंद्रयान-3 अपने सफर पर सफलतापूर्वक आगे बढ़ रहा है। यान अभीतक दो तिहाई सफर पूरा कर चुका है। चंद्रयान – 3 पिछले महीने 14 जुलाई को रवाना हुआ था और अपने नियत समय के अनुसार यान शनिवार को चांद की कक्षा में प्रवेश करेगा।
लांचिंग किये जाने के बाद से यान पांच बार कक्षा में बदलाव करता हुआ आगे बढ़ रहा है। पृथ्वी की कक्षा छोड़कर यान पहली अगस्त को स्लिंगशाट के बाद चांद की ओर रवाना हुआ था। अगले चरण में पांच अगस्त को शाम सात बजे यान को चांद की कक्षा में प्रवेश कराया जाना है।
Chandrayaan-3 Mission: शान से आगे बढ़ रहा है चंद्रयान-3, आज चांद की कक्षा में करेगा प्रवेश#Chandrayaan3 #Space @isro https://t.co/kad17pM2ei
— Dainik Jagran (@JagranNews) August 5, 2023
इसरो ने बताया कि यान को उस समय प्रवेश कराया जाएगा जब वह चांद से सबसे नजदीकी बिंदु पर होगा। इस प्रक्रिया को लूनर आर्बिट इंजेक्शन (एलओआइ) कहते हैं। इसमें प्रवेश करने के बाद यान कुछ दिन चांद की कक्षा में परिक्रमा करेगा।
चंद्रयान-3 की कामयाब लैंडिंग के बाद भारत इस उपलब्धि को पाने वाला चौथा देश बन जाएगा। लांच व्हीकल यानी राकेट की लागत को अलग करने पर चंद्रयान-3 की कुल लागत करीब 250 करोड़ रुपये है।
यान में हैं तीन माड्यूल
चंद्रयान-3 चांद की कक्षा से पृथ्वी का अध्ययन करेगा। इसमें तीन माड्यूल हैं- प्रोपल्शन, लैंडर और रोवर। प्रोपल्शन माड्यूल में स्पेक्ट्रो पोलेरिमेट्री आफ हैबिटेबल प्लेनेट अर्थ (शेप) पेलोड है। लैंडर में चांद की सतह तथा वातावरण के अध्ययन के लिए तीन पेलोड हैं।
इसके साथ ही अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का भी एक पेलोड इसके साथ रवाना किया गया है। रोवर के दो पेलोड लैंडिंग साइट के आसपास का अध्ययन करेंगे जबकि प्रोपल्शन माड्यूल चांद की सतह से 100 किलोमीटर दूर से लैंडर-रोवर को छोड़ देगा।
इसके बाद लैंडर रोवर को अपने साथ लेकर चांद की सतह पर लैंड करेगा और यहाँ रोवर उससे अलग हो जाएगा। लैंडर-रोवर एक चंद्र दिवस तक अध्ययन करेंगे। यह अवधि पृथ्वी पर 14 दिन के बराबर है।