लंबे समय से क्लाउड सीडिंग के जरिए कृत्रिम बारिश के प्रयासों में लगे आईआईटी कानपुर ने बड़ी सफलता हासिल कर ली है. सेशना एयरक्राफ्ट की मदद से आईआईटी के ऊपर हवा में केमिकल पाउडर ब्लास्ट किया गया, इसके बाद बारिश हुई।
बारिश के इन्तिज़ार में मानसून की दस्तक की राह देखन अब बीते ज़माने की बात हो जाएगी। क्लाउड सीडिंग के जरिए कृत्रिम बारिश अब मुमकिन हो चुकी है। ये कारनामा किया है कृत्रिम बारिश के प्रयासों में लगे आईआईटी कानपुर ने।
सेशना एयरक्राफ्ट की मदद से आईआईटी द्वारा किये गए इस प्रयास में हवा में केमिकल पाउडर ब्लास्ट किया गया, जिसके नतीजे में बारिश हुई।
लंबे समय से क्लाउड सीडिंग के जरिए कृत्रिम बारिश के प्रयासों में लगे आईआईटी कानपुर ने बड़ी सफलता हासिल कर ली है । सेशना एयरक्राफ्ट की मदद से आईआईटी के ऊपर हवा में केमिकल पाउडर ब्लास्ट किया गया इसके बाद बारिश हुई यह परीक्षण डीजीसीए की अनुमति के बाद हुआ।#IITKanpur #DGCA #Science pic.twitter.com/VOq9w7oUtz
— India TV (@indiatvnews) June 22, 2023
आईआईटी कानपुर लंबे समय से क्लाउड सीडिंग के जरिए कृत्रिम बारिश के लिए प्रयासरत था। आखिरकार इन लोगों को सफलता मिली और प्रयोग की कामयाबी के बाद बारिश हुई।
आईआईटी के ऊपर सेशना एयरक्राफ्ट की सहायता से हवा में केमिकल पाउडर ब्लास्ट किया गया। इसके नतीजे में बारिश हुई। इस परीक्षण के लिए डीजीसीए की अनुमति ली गई थी।
भारत को कृत्रिम बारिश की तकनीक देने के मामले में चीन की तरफ से इनकार किये जाने के बाद आईआईटी कानपुर की एक टीम ने इस तकनीक पर काम किया और सफलता पाई।
क्लाउड सीडिंग के लिए आईआईटी कानपुर की एयरस्ट्रिप से 5 हजार फीट की ऊंचाई पर विमान गया। इस तकनीक के लिए बदल ज़रूरी है। इस विमान की मदद से घने बादलों के बीच पाउडर स्प्रे किया गया। जिसके परिणाम स्वरुप कानपुर आईआईटी और समीप के क्षेत्रों में तेज बारिश हुई।
इस प्रोजेक्ट पर साल 2017 से काम चल रहा था। यह परियोजना कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. मणिंद्र अग्रवाल के नेतृत्व में शुरु की गई थी। क्लाउड सीडिंग गंभीर वायु प्रदूषण के साथ सूखे की स्थिति से निपटने में भी कारगर है।