न्यूयॉर्क: संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटरेस ने कहा है कि हम सभी को मुसलमानों के खिलाफ भेदभाव और इस्लामोफोबिया के खिलाफ खड़ा होना होगा।
संयुक्त राष्ट्र में प्रस्ताव पारित होने के बाद आज 15 मार्च, 2023 को पहली बार इस्लामोफोबिया के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाया जा रहा है। इस्लामोफोबिया के खिलाफ कार्रवाई दोहराई जाएगी और इस दिन समारोह आयोजित किए जाएंगे।
पिछले साल संयुक्त राष्ट्र ने 15 मार्च को इस्लामोफोबिया का मुकाबला करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में नामित किया था, जिसका अर्थ है कि हर साल 15 मार्च को इस्लामोफोबिया के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाया जाएगा।
इस दिवस को मनाने का निर्णय संयुक्त राष्ट्र में ओआईसी द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव के अनुमोदन के बाद लिया गया था। प्रस्ताव में कहा गया कि कुरान की बेअदबी, आखिरी पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के अपवित्र रेखाचित्र और इस्लाम के बारे में अपमानजनक शब्दों ने मुस्लिम दुनिया की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है।
The first International Day to Combat Islamophobia is a call for action to stamp out the poison of anti-Muslim hatred.
Discrimination diminishes us all. We must stand up against it.
Today & every day, we must counter the forces of division by reaffirming our common humanity.
— António Guterres (@antonioguterres) March 15, 2023
प्रस्ताव में कहा गया कि न केवल मुसलमानों की भावनाओं को ठेस पहुंचाई जा रही है, बल्कि इस्लामोफोबिया के जरिए भेदभाव भी किया जा रहा है, जिसके खिलाफ संयुक्त राष्ट्र को कार्रवाई करने की जरूरत है।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने ट्विटर पर लिखा कि इस्लामोफोबिया के खिलाफ पहला अंतर्राष्ट्रीय दिवस मुस्लिम विरोधी नफरत के जहर को खत्म करने के लिए कार्रवाई का आह्वान करता है।
एंटोनियो गुटरेस ने आगे लिखा कि हम सभी को मुसलमानों के खिलाफ भेदभाव और इस्लामोफोबिया के खिलाफ खड़ा होना चाहिए। आज और हर दिन हमें अपनी सामान्य मानवता की पुष्टि करके विभाजन की ताकतों का विरोध करना चाहिए।