एनसीईआरटी यानी राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद द्वारा खुलासा किया गया है कि देश के 33 फीसदी विद्यार्थी परीक्षा और परिणाम की चिंता के कारण दबाव में रहते हैं। इसके लिए सभी राज्यों के करीब 3.79 लाख विद्यार्थियों को लेकर किये गए इस खुलासे में बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य एवं कल्याण से सम्बंधित सर्वेक्षण में ये जानकारी मिली। सर्वेक्षण के परिणाम मंगलवार को जारी किए गए।
एनसीईआरटी के इस सर्वेक्षण से ये भी पता चलता है कि 51 फीसदी बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई में परेशानी महसूस हुई जबकि 81 फीसदी बच्चों ने पढ़ाई, परीक्षा व परिणाम को चिंता की सबसे बड़ी वजह बताया। जनवरी से लेकर मार्च 2022 तक किये गए इस सर्वेक्षण में कक्षा छह से आठ और नौ से 12 के छात्र-छात्राओं को शामिल किया गया। सर्वेक्षण में बच्चों की पहचान गोपनीय रखी गई ताकि बच्चे अपनी बात सहज तरीके से बयान कर सकें।
परीक्षा व परिणाम की चिंता का दबाव 33 फीसदी छात्रों को डरता है। ये बात 3.79 लाख बच्चों पर किये सर्वेक्षण में सामने आई।
एनसीईआरटी के अनुसार बच्चे जब मध्य कक्षा से सेकंडरी कक्षा में पहुँचते हैं तो उनके निजी और स्कूली जीवन के प्रति संतुष्टि की भावना में कमी देखी गई। सर्वेक्षण के मुताबिक़ मिली जानकारी कहती है तकरीबन 73 फीसदी बच्चे स्कूली जीवन से संतुष्ट हैं, इनमे 45 फीसदी बच्चे शारीरिक छवि को लेकर तनाव में हैं। सेकंडरी स्तर पर समकक्षों के दबाव, बोर्ड परीक्षा का डर, पहचान के संकट, रिश्तों को लेकर बढ़ती संवेदनशीलता, भविष्य में प्रवेश को लेकर चिंता के साथ अनिश्चितता जैसी चुनौतियां देखने को मिलीं।
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— Amar Ujala (@AmarUjalaNews) September 7, 2022
सर्वेक्षण के दौरान 43 फीसदी बच्चों ने बताया कि वह बदलाव को बहुत जल्द आत्मसात कर लेते हैं। इनमें सेकेंडरी स्तर के बच्चे 41 फीसदी, जबकि माध्यमिक स्तर के 46 फीसदी थे।