बदरीनाथ धाम का कपाट खुलते ही चार धाम की यात्रा विधिवत शुरू हो गई है। यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है। परिणाम स्वरूप अव्यवस्था बढ़ जाने से किसी भी तरह के दिशा निर्देशों का पालन सुचारू रूप से नहीं हो पा रहा है।
महामारी के बाद दो साल बाद आम श्रद्धालुओं के बीच अव्यवस्था के चलते पिछले 6 दिनों में 16 तीर्थयात्रियों का निधन हो चुका है, लेकिन प्रशासनिक स्तर पर व्यवस्था बहाली के इंतजाम नहीं हो पा रहे हैं।
3 मई को अक्षय तृतीया के मौके पर गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के पट खुलने के साथ ही चार धाम यात्रा की शुरुआत हुई। 6 मई को केदारनाथ धाम तथा रविवार को बदरीनाथ धाम के कपाट खोले गए। साथ ही चारों धाम में श्रद्धालुओं का जमावड़ा शुरू हो गया है। कोविड संक्रमण की रफ्तार थमने के बाद यात्रा को शुरुआत से हो भीड़ उमड़ पड़ी। उत्तराखंड सरकार को पहले से इन परिस्थितियों का अंदाजा था कि इस बार श्रद्धालुओं की संख्या ज्यादा होगी। ऐसे में व्यवस्था बनाए रखने के लिए महकमे को दिशा-निर्देश जारी किए थे मगर केदारनाथ और बदरीनाथ धाम में श्रद्धालुओं के लिए उचित व्यवस्था नहीं हो पा रही है। साथ ही स्वास्थ्य जांच की भी पुख्ता व्यवस्था नहीं होने से चार धाम यात्रा शुरू होने के 6 दिनों में ही 16 तीर्थयात्रियों की मौत हो चुकी है।
चार धाम की यात्रा मुश्किल भरी होती है जिसके लिए तीर्थयात्रियों का पूर्ण स्वस्थ होना जरूरी है। ऐसे में बिना स्वास्थ्य जांच के आने वाले तीर्थयात्रियों को भी यात्रा की मंजूरी दे दी जा रही है। इसके लिए तीर्थयात्रियों को एक शपथ पत्र देना होता है कि अगर तीर्थ यात्रा के दौरान किसी प्रकार की विषम स्थिति उत्पन्न होती है या जान चली जाती है तो इसका जिम्मेदार वे स्वयं होंगे। जबकि लोगों को अधिक संख्या के चलते अनुशासन और दिशा निर्देश का पालन नहीं हो पा रहा है।