कर्नाटक के उडुपी जिले के तीन और कॉलेजों ने हिजाब पहनने वाली छात्राओं को एंट्री देने से इनकार कर दिया।इस तरह का पहला मामला 28 दिसंबर 2021 को उडुपी से सामने आया था। इसे मिलकर अब तक कुल पांच शिक्षण संस्थान जिनमे तीन सरकारी कॉलेजों और दो निजी संस्थानों हैं, ने हिजाब पहनने वाली छात्राओं की एंट्री पर रोक लगा दी है। किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए संस्थान में पहली बार पुलिस तैनात की गई। कर्नाटक हाई कोर्ट में इस मामले पर 8 फरवरी को सुनवाई होगी।
विवाद के बीच हिजाब को लेकर कर्नाटक सरकार ने शैक्षणिक संस्थानों से पोशाक संबंधी मौजूदा नियमों का पालन करने को कहा है, जब तक कि उच्च न्यायालय अगले सप्ताह इस संबंध में कोई आदेश नहीं दे देता।
महिलाओं और कार्यकर्ताओं के मुताबिक़ यह कार्रवाई उनके संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है। वहीं सरकार और अधिकारी ये तर्क दे रहे हैं कि यह नियम शैक्षणिक संस्थानों में धार्मिक प्रतीकों के प्रदर्शन को रोकने के लिए है। कई हिंदू छात्र कक्षा में हिजाब पहनने वाली मुस्लिम लड़कियों का विरोध कर रहे हैं। वो स्थानीय छात्रों को संस्थानों में भगवा स्कार्फ पहनने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
पहली घटना बीते रोज़ उडुपी के भंडारकर कॉलेज में हुई। छात्रों के अनुसार जब वे सुबह कॉलेज पहुंचीं तो हिजाब पहनकर आईं छात्राओं को कॉलेज के अधिकारियों ने पुलिस की मौजूदगी में गेट पर रोक दिया। कुंडापुर पुलिस के अधिकारियों ने कहा कि कॉलेज के प्रिंसिपल का फोन आने के बाद पुलिस को तैनात किया गया था।
दूसरी तरफ कांग्रेस नेता सिद्धरमैया ने शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने के अधिकार पर मुस्लिम लड़कियों का समर्थन करते हुए भाजपा नेतृत्व वाली सरकार पर हमला किया।