नई दिल्ली। भारत ने कश्मीर पर विदेश सचिव स्तर की वार्ता करने के पाकिस्तान के प्रस्ताव को ठुकरा दिया और स्पष्ट किया कि आतंकवाद ही उसके साथ संबंधों के केंद्र में है जिस पर उसके भिन्न दृष्टिकोण ने द्विपक्षीय संबंधों की प्रगति को मुश्किल बना दिया है। पाकिस्तान के विदेश सचिव एजाज अहमद चौधरी के न्यौते पर जवाब देते हुए विदेश सचिव एस जयशंकर ने सीमापार आतंकवाद से जुड़े पहलुओं पर चर्चा के लिए इस्लामाबाद की यात्रा करने की अपनी इच्छा प्रकट की जो जम्मू कश्मीर की वर्तमान स्थिति के केंद्र में है।
इस्लामाबाद में भारतीय दूत गौतम बंबावाले द्वारा पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय को सौंपे गए जवाब में यह भी जिक्र किया गया है कि सीमापार आतंकवाद और घुसपैठ पर पूर्ण विराम लगाने को छोड़कर पड़ोसी देश का जम्मू कश्मीर की स्थिति के किसी भी पहलू के समाधान में कोई अधिकार नहीं है।
बाद में मीडिया से बातचीत करते हुए जयशंकर ने कहा कि भारत ने पाकिस्तान से संपर्क साधने के लिए काफी कोशिशें की लेकिन उसे पाकिस्तान के जवाब में एक विचित्र चुनौती से दो-चार होना पड़ा। विदेश सचिव ने कहा कि आतंकवाद का मुद्दा इस संबंध के केंद्र में आ गया है जिससे रिश्ते की प्रगति कठिन हो गई है। उन्होंने यह कहते हुए पाकिस्तान पर प्रहार किया कि इस क्षेत्र के बाकी देश ज्यादा सहयोगपरक एवं आपस में जुड़े दक्षिण एशिया के पक्ष में भारत के साथ हैं लेकिन इस असामान्य देश का आतंकवाद को कूटनीति की नीति के औजार के रूप में अपनाने का दष्टिकोण इस क्षेत्र में उसे मुश्किल भागीदार बनाता है।
इसका उल्लेख करते हुए कि भारत ने कई सीमापार घुसपैठों और हमलों का सामना किया है, जयशंकर ने कहा कि ऐसे एक हमले में एक पाकिस्तानी आतंकवादी पकड़ा भी गया जो पड़ोसी की संलिप्तता को दर्शाता है। पहले, कश्मीर पर वार्ता की पाकिस्तान की पेशकश को ठुकराते हुए सरकारी सूत्रों ने कहा कि चूंकि सीमापार आतंकवाद से जुड़े पहलू जम्मू कश्मीर की स्थिति के केंद्र में है अतएव भारत ने प्रस्ताव दिया है कि विदेश सचिवों के बीच चर्चा उन्हीं पर केंद्रित होनी चाहिए।
सूत्रों ने कहा कि हमने यह भी कहा है कि भारत सरकार जम्मू कश्मीर के बारे में आत्मतुष्टि वाले आरोपों को पूरी तरह खारिज करती है, जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है जहां पाकिस्तान का कोई अधिकार नहीं बनता है। पाकिस्तान ने सोमवार को यह कहते हुए कश्मीर पर वार्ता के लिए भारत को न्यौता दिया था कि इस मुद्दे को हल करना दोनों देशों की अंतरराष्ट्रीय बाध्यता है। यह निमंत्रण दोनों देशों के बीच कश्मीर में जारी अशांति पर वाकयुद्ध के चलते द्विपक्षीय रिश्ते में तनाव के मध्य आया था।
भारत और पाकिस्तान कश्मीर की स्थिति पर पाकिस्तानी बयानबाजी को लेकर वाकयुद्ध में उलझे हैं। कश्मीर में पिछले महीने हिज्बुल मुजाहिदीन कमांडर बुरहान वानी के मारे जाने के बाद से अशांति है। वानी को पाकिस्तान ने शहीद बताया था और उसने कश्मीर मुददे का अंतरराष्ट्रीयकरण करने का प्रयास भी किया था। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और पाक विदेश मंत्रालय ने इस संबंध में संयुक्त राष्ट्र एवं कई देशों को पत्र लिखा था। भारत कहता आ रहा है कि घाटी में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद ही उथल-पुथल की मूल वजह है।