एक अहम फैसले में मद्रास उच्च न्यायालय ने कहा कि पॉक्सो कानून में किशोर आयु के उन लड़कों को दंडित करने का प्रावधान नहीं है, जो एक नाबालिग लड़की से उसकी सहमति से संबंध बनाते हैं।
शारीरिक रूप से होने वाले बदलाव के दौर से गुजर रहे युगल के लिए अभिभावकों और समाज का समर्थन जरूरी है। न्यायमूर्ति एन आनंद वेंकटेश ने अपनी बात में कहा कि बच्चों को यौन अपराध से बचाने के लिए पॉक्सो कानून लाया गया था। मगर उन किशोरों एवं नाबालिग बच्चे/बच्चियों के अभिभावक शिकायत दर्ज करा रहे हैं जो प्रेम संबंधों में हैं। उनके मुताबिक़ विधायिका को सामाजिक जरूरतों में बदलाव के साथ तालमेल बैठाते हुए कानून में बदलाव लाना होगा।
न्यायमूर्ति वेंकटेश ने एक ऑटो चालक के खिलाफ यौन अपराध से बच्चों/बच्चियों की रक्षा कानून (पॉक्सो) के तहत दर्ज आपराधिक मामला रद्द कर दिया। उस पर एक नाबालिग लड़की से विवाह करने के लिए यह मामला दर्ज किया गया था।
अपनी बात में न्यायाधीश ने कहा कि कानून में स्पष्ट है कि इसके दायरे में ऐसे मामले नहीं लाए जाने चाहिए जो किशोरों या नाबालिगों के प्रेम संबंध से जुड़े हुए हों। पॉक्सो कानून आज के मुताबिक निश्चित रूप से कड़ी प्रकृति के कारण लड़के के कार्य को आपराधिक बनाता है।
उन्होंने कहा कि किसी नाबालिग लड़की के साथ संबंध रखने वाले किशोर लड़के को दंडित करना पॉक्सो कानून का उद्देश्य कभी नहीं रहा। हॉर्मोनल एवं शारीरिक बदलाव के दौर से गुजर रहे किशोर उम्र के लड़के-लड़कियां, जिनमें फैसले लेने की क्षमता अभी विकसित नहीं हुई है, उन्हें उनके अभिभावकों और समाज का समर्थन मिलना जरूरी है।